उत्तराखंडदुर्घटना

मोतीचूर रेंज में दो दिनों में दो हाथियों की मौत

राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में 17 फरवरी को दो हाथियों के बीच खूनी संघर्ष हो गया। इसमें 55 साल के एक हाथी की मौत हो गई थी। वहीं आज 30 वर्षीय दूसरे हाथी की भी मौत हो गई। हाथी का शव छिद्दरवाला के पास सौंग नदी में बरामद हुआ है। पार्क की टीम द्वारा आगे की कार्रवाई की जा रही है।

राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज के सत्यनारायण बीट में दो हाथियों के बीच हुई वर्चस्व की लड़ाई में दोनों हाथियों की मौत हो गई है। 17 फरवरी को दो हाथियों के बीच संघर्ष का मामला सामने आया। इसमें एक 55 वर्षीय हाथी की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि दूसरा हाथी घायल बताया जा रहा था। पार्क प्रशासन की टीम लगातार घायल हाथी की तलाश कर रहा थी। शनिवार की सुबह दूसरे हाथी का शव मिलने की सूचना ग्रामीणों के द्वारा दी विभाग को दी गई। सूचना मिलने के बाद पार्क की टीम मौके पर पहुंची और आगे की कार्रवाई में जुट गई।
राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के डिप्टी डायरेक्टर ललित प्रसाद टम्टा ने बताया कि 17 फरवरी को सत्यनारायण बीट में छिद्रवाला के पास दो हाथियों में संघर्ष हुआ। जिस संघर्ष में एक हाथी की मौत हो गई और दूसरा हाथी जंगल की ओर चला गया। घटना के बाद संभावना जताई गई कि दूसरा हाथी भी संघर्ष में घायल हुआ है, जिसको ढूंढने के लिए वनकर्मियों की अलग – अलग टीम बनाकर जंगल की ओर रवाना की गई, साथ ही जंगल की ओर घटना स्थल के आसपास के क्षेत्र में डॉग स्क्वाड घुमाया गया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 2 दिन बाद अचानक शनिवार की सुबह करीब साढ़े 7 बजे बीट के एक कर्मी को हाथी का शव सॉन्ग नदी के तट पर दिखाई दिया जिसकी सूचना तत्काल उच्च अधिकारियों को दी गई। सूचना मिलने के बाद उच्च अधिकारियों मौके पर पहुंचे और डॉक्टरों की टीम ने हाथी का पोस्टमार्टम किया और उसको सुरक्षित गड्ढा बनाकर दफनाया गया।
मोतीचूर रेंज में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। मोतीचूर रेंज में 50 से अधिक कर्मचारी और डॉग स्क्वाड होने के बावजूद आखिरकार घायल हाथी को क्यों नहीं ढूंढ पाए? अगर यह घायल हाथी समय पर मिल जाता और समय पर उपचार होता तो शायद इसकी जान बच सकती थी।

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