उत्तराखंड

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी द्वारा 21 जनवरी को संगोष्ठी का आयोजन

जल जंगल जमीन हमारी, नहीं सहेंगे धौंस तुम्हारी
उत्तराखंडी अस्मिता के लिए संगठित हों
         संगोष्ठी/आमंत्रण
उत्तराखंड – अवधारणा एवं भू कानून
साथियों,
          उत्तराखंड में मूल निवास का सवाल इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है। समूचे पर्वतीय क्षेत्र में हो रही जमीनों की खुली लूट से यहां का जनमानस उद्वेलित है। यह अचानक उपजी घटना नहीं है, बल्कि यह राज्य गठन के बाद पिछले 24 सालों में यहां सत्ता में आसीन सरकारों के संरक्षण में पूंजीपतियों द्वारा की जा रही प्राकृतिक संसाधनों की लूट का नतीजा है
      इस बीच उत्तराखंड में एक बार पुनः कठोर भू कानून बनाए जाने की मांग तेज हो गई है, लेकिन यह मांग मात्र जमीनों की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने तक सीमित दिखाई दे रही है। उत्तराखंड में भूमि के सवाल को समग्रता के साथ व्यापक परिपेक्ष्य में देखे जाने की जरूरत है। हमारा मानना है कि उत्तराखंड में व्यापक भूमि सुधार किए बिना इस समस्या का हल नहीं खोजा जा सकता है। इसके लिए भूमिहीनों को भूमि वितरण, बेनाप एवं वन भूमि, बंदोबस्ती, चकबंदी, बांध, सौर ऊर्जा तथा विकास परियोजनाओं के नाम पर ली जा रही किसानों की जमीनों के सवालों को भी समझना जरूरी है। प्रभावशाली लोगों द्वारा भूमि एवं वन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए यहां बड़े पैमाने पर गैरकानूनी तरीके से नाप/ बिना आप जमीनों पर कब्जा किया गया है। भू कानून में इसका हल खोजने के साथ ही मौजूद तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तराखंड में भू परिदृश्य एवं सशक्त भू कानून पर गहन विमर्श एवं साझी समझ के नितांत आवश्यकता है।
      उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी राज्य स्थापना के बाद से ही  प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ लगातार संघर्षरत रही है। इस बीच तमाम क्षेत्रों में संघषरत समूहों प्रबुद्धजनों सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर एक संगोष्ठी दिनांक 21 जनवरी 2024 रविवार को प्रातः 11.30 बजे से ट्रिपल जे  संस्थान के सभागार में आयोजित की जा रही है। आप सभी उक्त संगोष्ठी में सक्रिय भागीदारी करने की कृपा करें।

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