उत्तराखंड

योग से मन, आत्मा और विचार परिष्कृत

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 की श्रृंखला का सार्वजनिक स्वास्थ्य में योग के बीते दस वर्षों के प्रभाव का वैज्ञानिक और व्यावहारिक मूल्यांकन पर नेशनल सेमिनार के संग शंखनाद

ख़ास बातें
प्रो. तुंग वीर सिंह आर्य ने विस्तार से समझाए अष्टांग योग के आठ चरण

हृदय रोग, अस्थमा, अवसाद के लक्षणों को नियंत्रित करने में योग की कारगर भूमिका: प्रो. ईश्वर भारद्वाज

योग केवल शारीरिक क्रियाओं तक सीमित नहीं, बल्कि एक पूर्ण जीवनशैली : वीसी

नेशनल सेमिनार में प्रेजेंट किए गए तीन दर्जन रिसर्च पेपर्स

मुज़फ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा संकायाध्यक्ष एवम् प्रख्यात फिजीशियन प्रो. तुंग वीर सिंह आर्य ने कहा, योग की भूमिका केवल जीवनशैली रोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यौन संचारित रोगों और जनसामान्य में फैलने वाले रोगों की रोकथाम में भी अत्यंत प्रभावशाली है। उन्होंने कहा कि योग मन और शरीर दोनों के स्तर पर कार्य करता है। प्रो.आर्य तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 के पावन अवसर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य में योग के बीते दस वर्षों के प्रभाव का वैज्ञानिक और व्यावहारिक मूल्यांकन विषय पर मेडिकल के एलटी 2 में आयोजित नेशनल सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने अष्टांग योग के आठ चरणों को विस्तारपूर्वक समझाया। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके सेमिनार का शंखनाद हुआ। इस मौके पर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. वीके जैन, बतौर मुख्य वक्ता – मुज़फ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा संकायाध्यक्ष प्रो. तुंग वीर सिंह आर्य,देव संस्कृति यूनिवर्सिटी, हरिद्वार के डीन एकेडमिक्स प्रो. ईश्वर भारद्वाज के संग- संग प्रो. हरबंश दीक्षित, प्रो. एमपी सिंह, श्रीमती नीलिमा जैन, प्रो. शिवानी एम. कौल, प्रो.मनु मिश्रा, डॉ. विनोद जैन, डॉ. ज्योतिपुरी, श्री रविन्द्र देव, प्रो. सुशील कुमार सिंह, डॉ. पीयूष मित्तल, प्रो. प्रवीण जैन, डॉ. विनीता जैन आदि की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही।अतिथियों का पारंपरिक रूप से पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। दूसरे सत्र में 36 रिसर्च पेपर्स भी प्रस्तुत किए गए।सेमिनार यह संदेश देने में सफल रही – योग को चटाई तक सीमित न रखें; इसे अपने घरों, दिलों और अस्पतालों तक ले जाएं।समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।संचालन सुश्री नीलम चौहान ने किया।

सेमिनार के उद्घाटन भाषण में टीएमयू के वीसी प्रो.वीके जैन ने कहा कि योग केवल शारीरिक क्रियाओं तक सीमित नहीं, बल्कि एक पूर्ण जीवनशैली है। उन्होंने विशेष रूप से जल्दी सोना और जल्दी उठना जैसे पारंपरिक जीवन-सिद्धांतों को अपनाने की पुरजोर वकालत करते हुए नियमित योगाभ्यास को विद्यार्थियों की दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे उनकी एकाग्रता, मानसिक संतुलन और समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो सके।

देव संस्कृति यूनिवर्सिटी, हरिद्वार के डीन एकेडमिक्स एवं योग विज्ञान के क्षेत्र में चार दशकों से अधिक अनुभव रखने वाले प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने बतौर मुख्य वक्ता योग के संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तार से बताया। उन्होंने माइंडफुलनेस की चर्चा करते हुए कहा कि योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का साधन नहीं, बल्कि यह मन, आत्मा और विचारों को भी परिष्कृत करता है। उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि योगाभ्यास से स्वरयंत्र और ऊपरी श्वसन तंत्र से संबंधित गंभीर समस्याओं में भी तेजी से सुधार होता है। उन्होंने यह भी कहा कि योग क्रॉनिक बीमारियों जैसे हृदय रोग, अस्थमा, अवसाद के लक्षणों को नियंत्रित करने में कारगर भूमिका निभाता है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि नियमित योगाभ्यास तनाव हार्मोन को कम करता है और शरीर में सकारात्मक न्यूरोकेमिकल परिवर्तनों को प्रेरित करता है। फाइन आर्ट्स कॉलेज के प्राचार्य श्री रविंद्र देव ने मुख्य वक्ताओं को चित्रकला भेंट की , जिसे विद्यार्थियों ने विशेष रूप से योग पर बनाया था। अंत में कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के प्राचार्य प्रो. मनु मिश्रा ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया ।

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