विश्व ओजोन दिवस पर राम चंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के मुख्य परिसर में जागरूकता तथा बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो सविता गैरोला ने कहा कि आज हम सभी को पर्यावरण के बारे में सचेत होना चाहिए और हर संभव प्रयास करना चाहिए की हम आधुनिकता के साथ बढ़ते हुए कही पर्यावरण को नुकसान ना पँहुचाए । ओज़ोन एक सुरक्षा कवच है। वरिष्ठ प्राध्यापिका प्रो मधु थपलीयाल ने गोष्ठी में कहा कि ओजोन परत एक समताप मंडल की परत है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण के हानिकारक दुष्प्रभावों से पृथ्वी की रक्षा करती है। वनस्पति विज्ञान विभाग के विभाग प्रभारी डॉ एम पी एस परमार पावर पॉइंट प्रेज़न्टैशन के माध्यम से बी एस सी के छात्रों को बताया कि विश्व के सभी देशों को हमारी ओजोन परत एक प्रकार की ढाल के रूप में कार्य करता है। वायुमंडल में ओजोन की उपस्थिति के कारण हानिकारक पराबैंगनी किरणों को प्रभावी ढंग से परिरक्षित किया जाता है।
यदि ओजोन परत पूरी तरह से समाप्त हो जाती है तो यह जीवित प्राणियों और हमारे ग्रह को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी। डॉ जय लक्ष्मी रावत ने छात्रों के बीच अपने उद्बोधन में बताया कि विश्व में नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि हुई , जो आज ही के दिन 1987 में लागू हुई थी। डॉ ऋचा बधानी ने बताया कि ओजोन परत के क्षरण को क्यों और कैसे रोका जाना चाहिए, तथा आज के दिन को जागरूकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। डॉ आराधना ने छात्रों को इस वर्ष की थीम वर्ष 2022 में वर्ल्ड ओजोन डे की थीम के बारे में बताया। डॉ संजीव ने छात्रों को बताया कि ओज़ोन दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई । डॉ विपिन ने भी छात्रों को सी एफ सी के कारण होने वाले नुकसान से छात्रों को अवगत करवाया।