आज 14 मई को विद्या रावत जी की प्रथम पुण्यतिथि है। उनके आदर्श अनुकरणीय है ।
१९९८_१९९९के दरम्यान स्वर्गीय कटोरी देबी जी के लोकसभा नामांकन के समय स्वर्गीय अटल जी के नामांकन के लिए मुहूर्त का हवाला देकर कटोरी जी के नामांकन को रोक दिया। इसका स्वर्गीय धर्म सिंह रावत जी ने विरोध किया ।झूठा केस दर्ज कर अदालत की कार्रवाई प्रारंभ कर दी ।
अदालत में मुचलके देने से मना कर दिया । अदालत में चुनौती दी कि इस झूठे केस में कारावास जाने को तैयार हूं लेकिन मुचलके नहीं दूंगा ।
न्यायमूर्ति ने मजबूर होकर जेल भेज दिया ।
जब कारावास में थे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी को प्रकरण पाता चला उन्होंने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को तुरंत रिहा करने को कहा ।
गैर जिम्मेदार नौकरशाही हरक़त में आई लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट ने श्रीमती विद्या रावत जी को सम्पर्क कर रावत जी को रिहा करने हेतु प्रार्थना पत्र देने को कहा ।
श्रीमती रावत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा लिखकर नहीं दूंगी उनके संघर्षों के साथ हूं ।वे हमेशा समाज के लिए संघर्ष रहे हैं । सरकार ने बिना सर्त जेल से सम्मान से रिहा किया । यह सत्य निष्ठा की विजय थी ।
श्रीमती रावत गांधी प्रतिमा हजरतगंज लखनऊ में टैंट हाउस से समियान लेकर लगाती थी ।
रावत जी के संघर्षों की हमसफर विद्या रावत जी को नमन करते हैं ।
डी एस रावल ।