मेहरबान पर मेहरबानी क्यों पेयजल मिशन की जांच की मांग उठी…
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देहरादून/रमेश कुड़ियाल:
गांव बचाओ आंदोलन के बैनर तले उत्तरकाशी से सैकड़ो किलो मीटर पैदल राजधानी पहुंचे ग्रामीणों न डीएम मेहरबान सिंह के । खिलाफ खूब नारेबाजी की ।
ग्रामीणों का आरोप है कि जिलाधिकारी मेहरबान सिंह पेयजल मिशन के तहत घर-घर जलयोजना में ग्रामीणों की नहीं सुन रहे हैं ।
स्थिति यह है कि वह ग्रामीणों के ज्ञापन और पत्रों को उच्च अधिकारियों को भी नहीं पहुंचा रहे हैं । ग्रामीणों ने पूरी ताकत सेडीएम को निलंबित करने की मांग की है ।
यह बात उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर मुख्य सचिव से वार्ता के दौरान भी कहीं । गांव बचाओ आंदोलन के अध्यक्षअभिषेक जगूड़ी ने उत्तरांचलप्रेस क्लब में आयोजितवार्ता में कहा कि भारत सरकार के ओर से जल मिशन के तहत बिछाई गई योजनाओं में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है । उन्होंने प्रेस को न्योता देते हुए कहा कि वह गांव में जाकर देखें कि किस तरह खाली नल लोगों को चढ़ा रही है । जगुड़ी ने कहा कि इस बाबत जब जल मिशन योजना समिति के अध्यक्ष एवं डीएम से वार्ता की गईतो उनका जवाब बहुत ही नकारात्मक रहा ।
स्थितियां यह हो गई है कि ग्रामीणों को 6 महीने से उत्तरकाशी में धरना देना पड़ रहा है । उन्होंने डीएम पर आरोप लगाया कि गांधीवादी तरीके से आयोजित आंदोलन को उन्होंने कलेक्ट्रेट से बाहर कर दिया । उन्होंने कहा कि कलेक्ट्रेट में सत्याग्रह करना उनका संवैधानिक अधिकार है , जिसे डीएम ने बाहर कर दिया है । गुस्से से भरे लोगों ने कहा कि कलेक्ट्रेट परिसर डीएम की जागीर नहीं है । उन्होंने डीएम को जिले का सबसे बड़ा नौकर कहा है । कहां के डीएम की की भूमिका जनता और सरकार के बीच संवाद कायम करना है ‘
जब कि उत्तरकाशी के डीएम ऐसा नहीं कर रहे हैं । जगूड़ी ने पेयजल मिशन में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता मेंजांच कमेटी गठित करने की मांग की है । उनका कहना है कि इस में गांव के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए , ताकि सच्चाई बाहर आ सके ।
उत्तरकाशी से 5 दिन की पदयात्रा के बाद देहरादून पहुंचे ग्रामीणों को प्रेस क्लब पैदल आने से रोकने की भी पुलिस ने कोशिश की । इससे एक बार स्थिति इतना तनाव पूर्ण हो गई थी ।
आंदोलनकारी पद यात्रा पर अडे रहे । बाद में वह पदयात्रा करते हुए प्रेस क्लब पहुंचे और अपनी बात उन्होंने मीडिया के सामने रखी । उन्होंने कहा कि कई मीडिया कर्मी भी अपने हितों को देखते हुए ग्रामीणों की मांग उजागर नहीं कर रहे हैं । इसकी वजह उन के अपने हित है लेकिन जनता की बात कोन उठाएगा पदयात्रा के साथ अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए देहरादून पहुंचना पड़ा ।
ग्रामीणों का साफ कहना है कि डीएम को निलंबित नहीं किया जाता है और जल मिशन की जांच न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में नहीं कराई जाती है तो वहां दिल्ली पीएम कार्यालय तक अपनी बात रखने के लिए गांधीवादी तरीका अपनाएंगे । उन्होंने यहां भी चेतावनी दी ऐसा न होने पर भाजपा को आने वाले चुनाव में खामियां भुगताना पड़ सकता है । ग्रामीणों का कहना है कि जल मिशन के तहत हुई गड़बड़ी किसी एक गांव में नहीं बल्कि सैकड़ो गांव में हुई है । उनका साफ कहना है कि यह केवल पैसे की बर्बादी हुई है ।
ग्रामीणों का कहना है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ ही लोगों को पेयजल सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए । ऐसा नहीं किया गया तो उत्तरकाशी के ग्रामीण आर पार की लड़ाई लड़ेंगे ।
बाद में ग्रामीणों ने मुख्य सचिव से भी मुलाकात । मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने ग्रामीणों को अस्वस्थ किया कि जल मिशन के कार्यों की जांच कराई जाएगी । डीएम को हटाने के मुद्दे पर उनका कहना था कि यहां मुख्यमंत्रीके हाथ में है । ग्रामीणों ने मुख्य सचिव से वार्ता के बाद संतुष्ट नजर आए लेकिन उनका साफ कहना है कि डीएम को हटाए बिना वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे ।