पंकज भट्ट
घनसाली टिहरी।देवभूमि उत्तराखंड में कई प्राचीन और प्रसिद्ध देवी देवताओं का वास पहले से ही है ।बासर पट्टी का प्राचीन प्रसिद्ध मान्दरा क्षेत्रपाल देवता 26 वर्षों बाद अपने क्षेत्र भ्रमण और बाडहाट (उत्तरकाशी) यात्रा के लिए 5 जनवरी को निकल चुका है।
वैसे तो मान्दरा क्षेत्रपाल प्रत्येक 12 वर्षों में क्षेत्र भ्रमण के बाद बाडहाट जाता था लेकिन बीच के 12 – 12 वर्षों में कुछ ना कुछ अवरोध उत्पन्न होने के इस बीच यात्रियों को स्थगित करनी पड़ी।
मंदिर समिति के अध्यक्ष पूर्व प्रधान अब्बल सिंह रावत और पूर्व प्रधान मान्दरा मोहन लाल भट्ट ने बताया कि मान्दरा क्षेत्रपाल का इतिहास आदि काल से है । ये क्षेत्रपाल भगवान शिव के प्रमुख गणों में गिने जाते हैं। यहां पर प्रति 12 वर्षों के बाद देवता को क्षेत्र भ्रमण के बाद बाडहाट ( उत्तरकाशी) यात्रा पर लेजाकर स्नान कराके पुनः मान्दरा गांव में खेतों के बीच स्थित पौराणिक मंदिर में स्थापित किया जाता है। इस बात देवता 26वर्षों बाद 5 जनवरी से यात्रा पर निकला है जो 9 दिनों के क्षेत्र प्रवास के बाद 13 जनवरी को बाडहाट उत्तरकाशी में 14 जनवरी मकर संक्रांति के पर्व पर स्नान करने के वापस अपने स्थान मान्दरा गांव पहुंच जाएगा।
क्षेत्रपाल देवता के मुख्य पुजारी मान्दरा गांव के नौटियाल परिवार के बसंत राम नौटियाल और भगवती प्रसाद नौटियाल है जबकि देवता के पसवा केपार्स के बिष्ट परिवार और कर्णगांव के रावत परिवार है।
वहीं इस यात्रा में बासर, गोनगढ़, आरगढ़, केमर पट्टियों के हजारों लोग शामिल हैं ।
इस मौके पर मंदिर समिति के तमाम सदस्य अब्बल सिंह रावत, मोहन लाल भट्ट, गजेंद्र असवाल, शिवसिंह असवाल, गुड्डू रावत, प्रधान उदय नेगी, प्रधान प्रीतम सिंह चौहान, डॉ विजय नौटियाल, प्रकाश नौटियाल, विजय असवाल, लालमणी रतूड़ी, सूरत सिंह चौहान, पंकज भट्ट, रामप्रसाद नौटियाल, कृष्णा कुडियाल, हयात सिंह दिकोला, विजय दिकोला, बचन सिंह बिष्ट, भोला सिंह रावत, बच्चन सिंह रावत, वृजपाल बिष्ट, हयात सिंह पंवार आदि हजारों लोग शामिल हैं।