उत्तराखंडस्वास्थ्य

कैंसर के उपचार को लेकर किया जागरुक

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,(एम्स) ऋषिकेश में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक किया गया।
 साथ ही कार्यक्रम में जन जागरुकता अभियान चलाकर आम नागरिकों, मरीजों व उनके तीमारदारों को कैंसर की बीमारी व इसके उपचार के प्रति जागरुकता का संदेश दिया गया।  इस उपलक्ष्य पर क्लीनिकल ट्रायल के बारे में जागरूकता सांझा की गई।                                                                                    बृहस्पतिवार को विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर एम्स के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग एवं नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान के कैंसर चिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित सहरावत ने उपस्थित मरीजों एवं आमजनों को कैंसर रोग के कारक व जोखिम से अवगत कराया, साथ ही इस तरह की घातक बीमारी से ग्रसित लोगों को समय से  उपचार लेने की सलाह दी।                                                                        उन्होंने कहा कि  स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर बड़ा खर्च करने के कारण बहुत से ज्यादा लोग  गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। चिंता की स्थिति यह है कि पिछले कुछ दशकों में जहां स्वास्थ्य क्षेत्र ने काफी प्रगति की है, वहीं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के प्रकोप के साथ हृदय रोग, मधुमेह, क्षय रोग, मोटापा, तनाव जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ी हैं। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियां निरंतर बढ़ रही हैं।                 दिवस पर ओपीडी परिसर में आयोजित किए गए जागरुकता अभियान में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लोगों को कैंसर की रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले जरुरी उपायों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश ने पिछले कई दशकों में विकास किया है, लेकिन इसी के साथ- साथ देखा गया है कि इलाज पर आने वाले अधिक खर्च के चलते आमजन उपचार कराने में सक्षम नहीं होते। लिहाजा ऐसी स्थिति में क्लीनिकल ट्रायल द्वारा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का निदान किया जा सकता है।भारत तथा अन्य विकाशील देशों में कैंसर के इलाज व निदान संबंधित समस्याएं विकसित देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इलाज से जुड़ा खर्च संभवत का सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से यहां पर कैंसर संबंधित मृत्यु दर ज्यादा है । बायोसिमिलर तथा जेनेटिक दवाएं इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकती हैं, बायोसिमिलर दवा के क्लीनिकल ट्रायल द्वारा फ़ास्ट ट्रैक अप्रूवल , भारत जैसे देश में एक सकारात्मक कोशिश हो सकती है ।उन्होंने बताया कि इससे मरीज को उपचार पर आने वाली लागत को कम करने में मदद भी मिलेगी।                              विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि समाज में क्लीनिकल ट्रायल को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, कई लोग क्लीनिकल ट्रायल को सिर्फ एक प्रयोग मानते हैं, मगर यह सत्य नहीं है। दरअसल क्लीनिकल ट्रायल रोग के निदान और उपचार में काफी हद तक मददगार साबित होता है।                                                          डॉ. अमित ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य दिवस के आयोजन का उद्देश्य दुनियाभर के सभी देशों में समान स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए लोगों को जागरुक करना, स्वास्थ्य संबंधी मामलों से जुड़े मिथकों को दूर करना और वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर विचार करना और उन विचारों को क्रियान्वित करना है। इस मौके पर प्रोजेक्ट मैनेजर रजत गुप्ता, द्वारिका रयाल, वैभव कर्नाटक, आरती राणा, अनुराग, रिद्म , नरेंद्र रतूड़ी, सतीश आदि मौजूद थे।

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