रमेश कुडियाल
नये साल के पहले दिन ही जनकवि डाअतुल शर्मा ने एक अभिनव प्रयोग किया। उन्होंने एक धरातल कविता कैलेंडर प्रकाशित करके वितरित किया ।
कविता कैलेण्डर में डा अतुल शर्मा की चर्चित कविता भी प्रकाशित की ग ई है_ ” थकता है बूढ़ा / थकता है बच्चा / थकती है नदी/ पर थकती नही कविता ” ।
यह बेहतरीन कविता वर्षो भर लोगो के घरो मे रहेगी । तारीखो के साथ । आकर्षक कैलेण्डर मे घुमावदार पेंटिग भी है । जिसमे कलात्मक रुप से गायत्री मन्त्र अंकित है । इस कविता कैलेण्डर को डा अतुल शर्मा द्वारा पिछले बहुत से वर्षों से छापा और वितरित किया जा रहा है । लोगो ने इसे बहुत ही ज्यादा पसंद किया है ।इसकी प्रतीक्षा भी की जाती रही है ।पिछले साल भी एक कविता कैलेण्डर उन्होंने हमे दिया था । उसमे कविता थी_ ” दोस्तो मेरी कविता को अपना ही घर समझो ” ।
वे स्वयं लोगो को इसको देते है और नव वर्ष की शुभकामनाएं देते है । जो सकारात्मक नव सृजन की पहल का हिस्सा है ।
कविताओ को कैलेण्डर पर अंकित करने का यह उत्साहित करने वाला कार्य है ।इसकी सार्थकता यह भी है कविता का संदेश जनपक्षीय तरीके से घ र घर मे पहुच रहा है ।
तारीखो का महत्वपूर्ण कैलेण्डर आफिस के शीशो के नीचे भी दिखाई दे रहा है ।
डाअतुल शर्मा की यह अभूतपूर्व कलात्मक और कविताओ से युक्त पहल लगातार जारी है ।
यह कैलेण्डर पर कविताओ की उपस्थित है । यह भी कि ऐसे भी पहुचती है कविता सब तक और वर्ष भर रहती है हमारे साथ ।