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रंगमंच और प्रदर्शनकारी कला विभाग दून विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखंड स्थापना दिवस पर दिनांक 7 नवंबर से 9 नवंबर 2022 तक एक मुखौटा निर्माण रंगमंच कार्यशाला का आयोजन

देहरादून। इस नाट्य कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को मुखौटा शिल्प कला के माध्यम से उनकी सोच को रचनात्मक और सृजनात्मक बनाना है इस नाट्य कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों को प्राचीन मुखौटा के इतिहास की जानकारी दी गई I विश्व में ग्रीक, यूनान, जापान, श्रीलंका, इंडोनेशिया और भारत के रंगमंच में मुखोटों के प्रयोगों का समृद्ध इतिहास छिपा हुआ है . जहां एक ओर विश्व के विभिन्न देशों में  मुखौटा का एक समृद्ध इतिहास रहा है वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के लोकनाट्य रम्माण और हिलजात्रा में भी  मुखौटौं  का प्रयोग सदियों से होता रहा है ।
 इस कार्यशाला में छात्रों को प्राचीन  मुखौटों के बनाने की विधि से परिचय करवाया गया . नाटकों में जब एक ही पात्र विभिन्न भूमिकाओं को निभाता है तो वह मुखोटों का प्रयोग करता है जिससे वह एक ही समय पर विभिन्न पात्रों की को प्रदर्शित कर सकता है . प्राचीन काल में चेहरे को बड़ा दिखाने के लिए  मुखोटों का प्रयोग किया जाता था. प्रचीनकाल  में जब दर्शक नाटक देखने आते थे तो उन्हें दूर से अभिनेता का चेहरा नहीं दिखाई देता था इसीलिए अभिनेता अपने चेहरों पर बड़े मुखोटों  का प्रयोग करते थे जिससे दूर बैठे दर्शक उस अभिनेता को देख सकें . चेहरे पर विभिन्न प्रकार का मेकअप करना भी एक तरह का मुखोटे का प्रयोग करना है आप विभिन्न प्रकार के मेकअप करके चेहरे को विभिन्न  मुखोटोंसे ढक देते हैं जो भी एक आहार्य अभिनय हिस्सा होता है।
नाट्यशास्त्र पंचम वेद के रूप में जाना जाता है इसमें चार प्रकार के प्रकार के अभिनय आंगिक, वाचिक, सात्विक और आहार्य के अंतर्गत  मुखौटा निर्माण की पद्धति के बारे में बताया गया है . नाट्यशास्त्र के तैइसवें‌ अध्याय में मुखोटों के बारे में जानकारी दी गई है कि किस प्रकार पंचम वेद नाट्यशास्त्र कई रूपों में आज भी प्रासंगिक है ।जिसका निर्देशन डॉ अजीत पंवार ने किया था।  इस कार्यशाला के बारे में दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० सुरेख डंगवाल ने कहा कि इस तरह कि इस कार्यशाला से विद्यार्थियों को पठन-पाठन में एक नई रचनात्मक दृष्टिकोण मिलता है और उन्हें अपनी प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है। विभागाध्यक्ष  एचo सी० पुरोहित ने कहा कि कार्यशाला में छात्रों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया है और मुझे आशा है कि उनके लिए यह कार्कयाशाला कई रुपों में लाभकारी होगी ।
इस अवसर पर , डॉ हर्ष डोभाल, डॉ अंजली चौहान, डॉ नरेश मिश्रा , डॉ सोमित गर्ग उपस्थित थे।
 इसके अतिरिक्त  विद्यार्थियों  में सोनिया  नौटियाल, सिद्धांत शर्मा , अरुण कुमार,  भावना नेगी, चंद्रभान ठाकुर,  आशीष कुमार,  उज्जवल जैन, कपिल पाल ,गीतांजलि आदि विद्यार्थी शामिल थे।

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