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प्राकृतिक खेती का दिया प्रशिक्षण बताएं इसके फायदे

औद्यानिकी महाविद्यालय, भरसार में नाहेप परियोजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. आर. एस. चंदेल, मा. कुलपति डॉ. वाई. एस. परमार औद्यानिकी एवम् वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन द्वारा प्राकृतिक खेती का इतिहास, उससे होने वाले फ़ायदे, आवश्यकता आदि के विषय मे विस्तृत जानकारी दी गयी. कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि प्रो. ओंकार सिंह, मा. कुलपति, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवम् वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार द्वारा प्राकृतिक खेती का महत्व एवम् विश्वविद्यालय में इससे संबंधित विषय को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के प्रथम सत्र से स्नातक स्तर पर सम्मिलित किये जाने के संबंध मे जानकारी दी गयी, साथ ही दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य स्टूडेंट्स एक्सचेंज और एमओयू कराये जाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए.
कार्यक्रम की शुरुवात मे प्रो. बी. पी. नौटियाल, अधिष्ठाता/कुलसचिव, औद्यानिकी महाविद्यालय, भरसार द्वारा प्रशिक्षण आयोजित किये जाने का उद्देश एवम् नाहेप परियोजना की आख्या प्रस्तुत की गयी.
विषय विशेषज्ञ के रूप मे डॉ. वाई. एस. परमार औद्यानिकी एवम् वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन से प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस. सी. वर्मा एवम् प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप ठाकुर द्वारा विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती में पोषक तत्व, कीटनाशक, बीमारियों का प्रबंधन कैसे किया जाए व प्राकृतिक खेती में काम आने वाले बीजा अमृत, घन जीवामृत,जीवामृत एवं जैविक कीटनाशक कैसे तैयार किए जाए. साथ ही उक्त मिश्रणों के लिए उपयोगी सामग्री और उनकाे प्रक्षेत्र मे इस्तमाल करने का वैज्ञानिक तरीका आदि के बारे में छात्रों को फील्ड प्रैक्टिकल कराया गया.
कार्यक्रम का संचालन ई. तेजस भोसले ने किया, प्रशिक्षण मे डॉ. मंजु नेगी, डॉ. चंद्रकुमार सिंह, डॉ. सतीश पंत, डॉ. संजीव वर्मा, डॉ. ममता, डॉ. संजीव रवी, शितल, चंद्रकला, जय सिंह, स्नातक प्रथम, द्वितीय एवम् तृतीय वर्ष के छत्र- छात्राएं उपस्थित थे.

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