प्रदेश भर में किसान, मज़दूर एवं जन संगठन सडकों पर उतरे, कॉर्पोरेट भारत छोडो़
अंग्रेज़ों भारत छोड़ो के दिन 09 अगस्त को “कॉर्पोरेट भारत छोडो़”, “मोदी गद्दी छोडो़” के संयुक्त किसान मोर्चे व संयुक्त ट्रेड यूनियनों के देशव्यापी कार्यक्रम के साथ उत्तराखंड में “नफरत नहीं रोज़गार दो” के नारों के साथ बिभिन्न जन संगठनों एवं आम नागरिकों जन विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष को आगे बढा़ने के लिए प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित की।
देहरादून, पौड़ी, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल, भवाली, पिथौरागढ़, अगस्त्यमुनि, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, उत्तरकाशी, रामनगर, हल्द्वानी, सल्ट, चमियाला और अन्य जगहों में कार्यक्रम हुए। किसानों और मज़दूरों के हक़ को सुनिश्चित किया जाये; नफरत की राजनीती और पुलिस का दुरूपयोग को रोका जाये; ज़मीन, घरों और वनों पर क़ानूनी अधिकार को सुनिश्चित किया जाये; और इस प्रकार के अन्य मांगों को प्रदर्शनकारियों ने उठाया। देहरादून में पांच सौ से ज्यादा आम लोगों के साथ केंद्रीय यूनियनों, संयुक्त किसान मोर्चा और राज्य के जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने धरना दिया और सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन को सौंपवाया।
बताया जाये कि सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बनाने सहित किसानों की अन्य मांगों के लिए सरकार की वादा खिलाफ व सारे देश की न केवल कृषि भूमि को बल्कि जल, जंगल व जमीन तथा शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सार्वजनिक संपत्तियों को कारपोरेट घराने के हवाले करने के साथ साथ श्रम कानूनों में संशोधन कर देश को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है। जनता को अपने हक़ों देने के बजाय कॉर्पोरेट घरानों को करोड़ों की सब्सिडी दी जा रही है। साथ साथ में नफरत और धार्मिक उन्माद फैलाकर केवल जनता की एकता को छिन्न भिन्न किया जा रहा है बल्कि दंगे फैलाकर नरसंहार तक किया जा रहा है। लगातार साम्प्रदायिक की आग लगाने के साथ हाल ही में पुरोला, मणिपुर के साथ हरियाणा की घटनाओं ने तो पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। देश और प्रदेश में भी निर्दोष लोगों को धर्म के आधार पर निशाना बना कर हिंसक संगठन बेखौफ अपराध कर रहे हैं जो देश को गंभीर संकट में डाल दिया है।
आजादी के लम्बे संघर्ष व अनगिनत, कुर्बानियों से हासिल आजादी को खतरे में डाल दिया है संविधान एवं वर्तमान कानूनों की धज्जियां उड़ाने के साथ साथ अपने कॉरपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए जन विरोधी व दमनकारी कानून बनाए जा रहे हैं। जैसे उत्तराखंड में अतिक्रमण के नाम पर लाया जा रहा “दस साला काला कानून” एक उदाहरण है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपील की कि आजादी की हिफाजत के लिये 14 अगस्त को गांव गांव में गोष्ठियां, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ रात्रि जागरण के बाद 15 अगस्त को झंडारोहण के बाद 26,27, 28 नवम्बर 2023 को देशभर में देश के विभिन्न राज्यों की राजधानियों में संयुक्त किसान मोर्चा व संयुक्त ट्रेड यूनियन समन्वय समिति के संयुक्त कार्यक्रम में देश के बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों छात्रों नौजवान महिलाओं व सम्पूर्ण देशवासियों से इस संघर्ष में शामिल होकर देश को इस गंभीर संकट से उभारने में सहयोग करे।
देहरादून में CITU के राज्य अध्यक्ष राजेंद्र नेगी और सचिव लेखराज; INTUC के राज्य अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट; AITUC के राज्य अध्यक्ष समर भंडारी एवं सचिव अशोक शर्मा; अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य अध्यक्ष SS सजवाण और राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल; उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल; जनवादी महिला समिति की राज्य सचिव इंदु नौटियाल; ई रिक्शा चालकों के संगठन के नेता; और अन्य वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम को संबोधित किया। इंसानियत मंच के Dr रवि चोपड़ा, क्रांतिकारी लोक संगठन के भोपाल और सैकड़ों महिलाओं, मजदूरों और किसानों के साथ भी मौजूद रहे। CITU के लेखराज ने संचालन किया।