
– डा अतुल शर्मा
देहरादून । गिर्दा हमे छोड़ कर चले गये पर वे आज भी अपने जयगीतों और जनसंघर्षों की चेतना मे जीवित हैं ।
गिर्दा के साथ बहुत से संस्मरण है जो याद आ रहे हैं ।बाबा नागार्जुन की 75 वीं साल गिरह के मौके पर हम जहरीखाल मे मिले थे ।बाबा नागार्जुन के साथ वहां गिर्दा डा शेखर पाठक राजीव लोचन साह कमल जोशी आदि के साथ वाचस्पति के घर की सादगी याद आ रही है । गिर्दा ने खूब जन गीत गाये थे ।मेरी कविता और गीत समयानुकूल थे ।फिर उत्तराखण्ड आन्दोलन मे तो नैनीताल देहरादून उत्तरकाशी अल्मोड़ा मसूरी टिहरी आदि मे प्रभात फेरी से शाम को मशाल जुलूस मे साथ रहते थे ।
उत्तर काशी का ऐतिहासिक कविसम्मेलन आन्दोलन का हिस्सा रहा । भाई रमेश कुडि़याल लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल नागेन्द्र नीलांबरम सुभाष रावत दिनेश भाई प्रकाश पुरोहित जयदीप साथ थे ।
मै गिर्दा बल्ली सिह चीमा जहूर आलम आदि बस से उत्तर काशी पहुचे । वे सब जनकवि जिनके गीत आन्दोलन मे गाये जा रहे थे वे सब एकत्रित हुए । वहां लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी राजेंन टोडरिया आदि सब थे । वहां गिर्दा के जन गीत सुने ।
25 मार्च 11 को मुझे उमेश डोभाल ट्रस्ट द्वारा प्रथम गिर्दा सम्मान मिला द्। वहां मैने गिर्दा का जन गीत _ ततुक नी लगाऊ देख सुनाया था । एक दो नही न जाने कितने संस्मरण है जिनमे एक खास है वह यह कि गिर्दा का कविता संग्रह उत्तराखण्ड काव्य का नयी तरह से विमोचन हुआ था । वहां पर पहाड़ पोथी की यह महत्वपूर्ण पुस्तक शैले हाल मे गिर्दा ने पहली प्रति मंच पर मुझे सौपी ।यही विमोचन था । दून लाइब्रेरी ने पेंगुइन प्रकाशन की ओर से पहाड़ की गूँज का आयोजन देहरादून के एकता होटल मे किया था । इसमे तीन जनकवि यो का काव्य पाठ हुआ था _ गिर्दा नरेन्द्र सिंह नेगी व मेरा । संचालन डा शेखर पाठक ने किया था । संयोजको मे चन्द्र शेखर तिवारी थे ।
गिर्दा की स्मृति लगातार हर मौके पर आती रही है ।
आज 22अगस्त को उनकी पुण्यतिथि पर शत् शत् शत् नमन
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