देहरादून। कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू होते ही उत्तराखंड में राशन और पोषण की स्थिति पर लगातार लोग आवाज़ उठा रहे हैं। फिर भी सरकारी योजनाओं की कमियों को दूर करने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। यहां तक कि उच्चतम न्यायलय के आदेशों को भी नज़र अंदाज़ किया जा रहा है।
ऐसे में राज्य के पांच विपक्षी नेताओं एवं विभिन्न जन संगठनों ने मुख्यमंत्री को ईमेल द्वारा ज्ञापन भेजा है, जिसमें उन्होंने राशन का बंटवारा और पोषण को ले कर बन रही गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त कर सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन द्वारा उच्चतम न्यायलय के आदेश पर अमल न होना, राशन कार्ड ऑनलाइन न होने के कारण लोगों को राशन से वंचित रखना, बच्चों को पोषण किट के नाम से सिर्फ कुछ छोटी सी रकम और कुछ चावल देना, और अन्य मुद्दों को उठाये गए हैं।
ज्ञापन में मांग की गई कि कोरोना महामारी की वजह से बेरोज़गारी और गरीबी की बढ़ोतरी से राज्य में पोषण को ले कर चिंताजनक स्थिति बन रही है। हाल में किए गये सर्वे के अनुसार, उत्तराखंड के शहरों और पहाड़ों में भी लोग बुनियादी खाद्य सामग्री जैसे अंडे, घी, तेल, केले, दूध इत्यादि को लेने में भी परेशानी का सामना कर रहे हैं। जैसे की महामारी से पहले देहरादून में 85 प्रतिशत मज़दूर अण्डों को खा पाते थे, अभी सिर्फ 8. 5 प्रतिशत ले पा रहे हैं; पहाड़ों में भी पहले 78 प्रतिशत गरीब लोग अंडों को खाते थे, अभी सिर्फ 26 प्रतिशत खा पा रहे हैं। पहाड़ों में लगभग 80 प्रतिशत लोग कह रहे हैं कि उन्होंने घी, तेल, और दालों का सेवन को कम कर दिया है।
इस स्थिति से ख़ास तौर पर महिलाओं और बच्चों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है। लेकिन इस सन्दर्भ में हम दुःख और चिंता व्यक्त करना चाहते हैं कि सरकार की और से उठाये गए कदमों में गंभीर कमियां है।
उच्चतम न्यायलय का 24 मई और29 जून के आदेशों के अनुसार, शहरों में सामूहिक रसोई (कम्युनिटी किचन) द्वारा बना हुआ खाना और हर मज़दूर को बिना शर्त मुफ्त राशन किट उपलब्ध कराना है। इस आदेश का अमल आज तक नहीं हुआ है उत्तराखंड में, जबकि यह उच्चतम न्यायलय का अपमान है।
पर्वतीय क्षेत्रों में हज़ारों परिवारों के राशन कार्ड ऑनलाइन नहीं हो पा रहे हैं, और उनको राशन नहीं मिल रहा है। बच्चों को पोषण किट के नाम पर बहुत सीमित रकम और कुछ चावल दिया जा रहा है। सरकार के आदेश के अनुसार राशन कार्ड बनाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र और जाती प्रमाण पत्र, दोनों दस्तावेज़ अनिवार्य होंगे। इस आदेश से हज़ारों परिवार राशन से फिर वंचित होंगे।
ज्ञापन देने वालों में किशोर उपाध्याय, पूर्व राज्य अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी , समर भंडारी, राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, डॉ सत्यनारायण सचान, राज्य अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी, इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले),राकेश पंत, राज्य संयोजक, तृणमूल कांग्रेससहित जन संगठनों की और से उत्तराखंड लोक वाहिनी, उत्तराखंड महिला मंच ,चेतना आंदोलन, जन संवाद समिति, वन अधिकार आंदोलन, उत्तराखंड विमर्श ,परिवर्तनकामी छात्र संगठन हिमालय बचाओ आंदोलन, गंगा बचाओ आंदोलन, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति, जिला चाय बागान मज़दूर सभा, नौजवान भारत सभा ,युगवाणी देहरादून एवं पीपल्स फोरम उत्तराखंड शामिल थे।