देहरादून। डॉ. हरक सिंह रावत ने अपने चिरपरिचित बड़बोलेपन का प्रदर्शन करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को कृषि मंत्री के रूप में किये गए ढैंचा घोटाले में जेल जाने से बचाने का बयान दिया है। अब यही बयान उनके खिलाफ हथियार बन रहा है। तमाम िवप्क्षी दलों के नेताओं का कहना है कि ऐसा कहकर हरक सिंहरावत ने बतौर मंत्री पद की गोपनीयता को भंग कियाहै।ऐसे में उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए।
हरक सिंह राव त एक बारफिर चर्चा में हैं। .गौरतलब है कि जिस समय की बात हरक सिंह रावत कर रहे हैं,उस समय वे कांग्रेस की सरकार में मंत्री थे और त्रिवेंद्र रावत भाजपा में थे। प्रश्न यह है कि दूसरी पार्टी के भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्ति को वे क्यों बचाना चाह रहे थे ? यह इस बात का सबूत है कि भाजपा-कांग्रेस में उत्तराखंड में भ्रष्टाचार और उसके आरोपियों को बचाने को लेकर अलिखित समझौता है।
हरक सिंह रावत के बयान का दूसरा हिस्सा ज्यादा आपत्तिजनक, विधि विरुद्ध और मंत्री के तौर पर उनके द्वारा ली गई पद व गोपनीयता की शपथ का भी उल्लंघन है। हरक सिंह रावत ने दो वरिष्ठ भाजपा नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि दो पेज का नोट बनाने के बाद,उन दोनों नेताओं को उन्होंने दिखाया। स्पष्ट तौर पर यह कृत्य मंत्री के रूप में ली गई गोपनीयता की शपथ का खुला उल्लंघन है। गोपनीयता की शपथ के अंतर्गत यह निहित होता है कि मंत्री के रूप में किये गए किसी कार्य को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा,न किसी ऐसे व्यक्ति से प्रकट किया जाएगा, जो उसके लिए अधिकृत न हो, लेकिन हरक सिंह रावत स्वयं अपने मुंह से स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने दो ऐसे भाजपा नेताओं को फ़ाइल का नोट दिखाया, जिनको इसे दिखाना विधि विरुद्ध था,गैरकानूनी था.
विपक्षी दलों के कई नेताओं का कहना है कि चूंकि यह हरक सिंह रावत की स्वयं की स्वीकारोक्ति है, इसलिए उन्हें तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनके विरुद्ध गोपनीयता की शपथ भंग करने के लिए मुकदमा दर्ज करते हुए वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जानी चाहिए।