उत्तराखंडराजनीति

शांती भट्ट की याचिका पर हाईकोर्ट ने तलब की स्वास्थ्य सेवाओं की रिपोर्ट

नैनीताल – राज्य में बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सरकार ने हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। 4 हजार 500 पन्नों की रिपोर्ट में सरकार ने पूरे राज्य में डाक्टरों से लेकर अस्पतालों में व्यवस्थाओं की बात कही है। हांलाकि सरकार के इस लम्बे चौड़े जवाब के बाद याचिकार्ता ने स्टेट्स रिपोर्ट तैयार करने के लिये कोर्ट से 8 हफ्तों का समय मांगा है। दरअसल कांग्रेस नेता शांति प्रसाद भट्ट ने याचिका दाखिल कर कहा है कि टिहरी जिले के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब है याचिका में कोर्ट से स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की मांग की थी.. शांति भट्ट की इस याचिका को हाईकोर्ट ने गम्भीरता से लिया और इसका स्कोप बढाते हुए पूरे राज्य के अस्पतालों पर सरकार को रिपोर्ट पेश करने को कहा कोर्ट ने अपने आदेश में पीएससी और सीएससी के साथ जिला अस्पतालों में क्या सुविधाएं हैं और क्या जरुरतें है उन पर डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार करने को कहा पूरे राज्य के सर्वे के बाद अब हाईकोर्ट ने 4 हजार 540 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है।

ये मांगी थी हाई कोर्ट ने रिपोर्ट..
दरअसल उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सरकार से राज्य के सभी अस्पताल और हैल्थ सेंटरों पर 34 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने ये भी पूछा है कि राज्य के अस्पतालों की क्या दशा है और उनमें कितने डॉक्टर हैं कितने डॉक्टरों की कमी है कितने ब्लड बैंक हैं क्या सुविधा इन अस्पतालों में है दवा बिजली पानी की क्या व्यवस्था है। कोर्ट ने 4 हफ़्तों में पूरी रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। आपको बतादें कि देहरादून निवासी शांति प्रसाद प्रसाद भट्ट ने जनहित याचिका दाखिल कर टिहरी में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की मांग करते हुए कहा है कि अस्पताल सिर्फ रैफर सेंटर हैं याचिका में इन अस्पतालों में सुविधा विस्तार की मांग कोर्ट से मांग की है। शांति प्रसाद भट्ट ने याचिका में कहा है कि इन अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं पीएचसी सीएचसी सेंटरों में भी कई स्थानों में ताले लगे है साथ ही नर्स, फार्मासिस्टों की कमी के साथ दवाओं की भी कमी है। याचिका का स्कोप अब कोर्ट ने लार्ज करते हुए पूरे उत्तराखंड के अस्पतालों की रिपोर्ट देने को कहा था। शांति भट्ट के वकील अभिजय नेगी ने कहा कि 2 साल बाद सरकार ने इसका जवाब दाखिल किया है और उन्हौने कोर्ट ने समय मांगा है तांकि इसका अध्ययन कर एक स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button