अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर उपपा कार्यालय में हुई संगोष्ठी में रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने, श्रमिक विरोधी कानूनों को वापस लेने, ठेका पद्धति समाप्त कर हर व्यक्ति को न्यूनतम 25 हजार रुपया मासिक वेतन देने की मांग की गई। संगोष्ठी में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि आज सरकारें पूंजीपतियों के हितों की रक्षा के लिए मई दिवस के प्रतिदिन 8 घंटे के काम के अधिकार को भी छीन रही हैं जिसके खिलाफ जनता को एकजुटता से संघर्ष करने की जरूरत है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के कार्यालय में वरिष्ठ पत्रकार रंगकर्मी नवीन बिष्ट की अध्यक्षता में हुई संगोष्ठी में मई दिवस के इतिहास व संघर्ष व बलिदानों को याद करते हुए नवीन बिष्ट ने कहा कि मेहनतकश जनता ने अपनी एकजुटता व संगठनों के बल पर अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं किंतु आज उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण की नीतियों ने सामाजिक ताने बाने को ध्वस्त कर दिया है।
संगोष्ठी में अपनी बात रखते हुए एड. जीवन चंद्र ने कहा कि दुनिया का संकटग्रस्त पूंजीवाद अपने संकट को अपनी सरकारों के माध्यम से श्रमिकों व आम लोगों पर थोप रहा है। संगोष्ठी में उपपा की केंद्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती आनंदी वर्मा, नगर अध्यक्ष हीरा देवी एवं कुमारी मनीषा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी का संचालन करते हुए उपपा के केंद्रीय महासचिव एड. नारायण राम ने कहा कि पूंजीपतियों के हाथों में आई नई नई तकनीकों के चलते आज श्रमिक व आम लोगों के संघर्ष को नए सिरे से समझने व व्यापक जन भागीदारी से इनका हाल निकलने की जरूरत है।