सम्यक् दर्शन, ज्ञान और चारित्र से ही मानव निर्माण
उत्तम शौच धर्म पर टीएमयू का रिद्धि-सिद्धि भवन भक्तिनृत्य में झूमा, विधि-विधान से हुए णमोकार महामंत्र पूजन, श्री आदिनाथ जिनपूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन, श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक का सौभाग्य सोमिल प्रदीप जैन को मिला, अष्ट प्रातिहार्य का सौभाग्य मिला- शची जैन, कुमकुम, प्रांजल गोहलिया, समीक्षा, अंशिता, कनिका, दिव्या और यशी जैन को, उत्तम शौच के दिन वैचारिक शुचिता रखते हुए लोभ का त्याग करेंः प्रतिष्ठाचार्य
उत्तम शौच धर्म पर रिद्धि-सिद्धि भवन में णमोकार महामंत्र पूजन, श्री आदिनाथ जिनपूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में विधि-विधान से हुए। सुरमय भजनों पर रिद्धि-सिद्धि भवन भक्तिमय होकर पूजा-अर्चना करते हुए भक्तिनृत्य में झूमने लगा। श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से सोमिल प्रदीप जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से कोमल प्रियांश जैन, तृतीय कलश से संयम तनिष जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से कोमल सुशांत जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। श्रीजी की स्वर्णकलश से शांति धारा करने का सौभाग्य अनमोल, अतिशय, प्रांशु, पीयूष, वैभव, आगम और गौतम जैन को मिला, जबकि रजत कलश से शांतिधारा करने सौभाग्य कोमल, प्रियांश और सुशांत जैन को मिला। साथ ही अष्ट प्रातिहार्य का सौभाग्य अष्ट कन्याओं- शची जैन, कुमकुम, प्रांजल गोहलिया, समीक्षा, अंशिता, कनिका, दिव्या और यशी जैन को मिला। इस मौके पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, सुश्री नंदिनी जैन की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। दूसरी ओर कल्चरल ईवनिंग का शुभारम्भ मंगलाचरण के साथ हुआ। ऑडी में फैकल्टी ऑफ़ इंजीनियरिंग के स्टुडेंट्स ने संवेदनशील विषय पर संकल्पी हिंसा का फल नाट्य की मार्मिक प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक सांझ की शुरुआत फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक प्रो. राकेश द्विवेदी, एचआर निदेशक श्री मनोज जैन, टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन, निदेशक हॉस्पिटल पीएंडडी श्री विपिन जैन, प्रो. आरके जैन, डॉ. पंकज गोस्वामी, श्री आदित्य जैन आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके की।
भोपाल से आई सुनील सरगम एंड पार्टी ने पंखिड़ा ओ पंखिड़ा.., अरे ऊँचे नीचे शिखरों पे मेरे बाबा…, णमोकार णमोकार महामंत्र णमोकार.., होगी पूरी मनोकामना मेरी…, मंदिर की धरती उगले सोना उगले हीरे मोती…, देखो जी, मेरे लल्ला हो गया…, न जा रे न जा रे मुझे छोड़ के…, बड़ा अच्छा लगता है…, घातिया भी नश गए अघातिया भी नश गए…, रात हमंे कुछ नींद न आई आंखों में घूमे बाहुबली…, हे गुरुवर हे गुरुवर…, ओ मुसाफिर आने वाले… सरीखे आस्थामय भजनों की प्रस्तुति दी। दूसरी ओर ऑडी में संकल्पी हिंसा का फल नाटिका में महाराज यशोधर की कहानी प्रस्तुत की गई। इस नाटिका से हमें हिंसा के दुष्परिणाम और उसे लगने वाले पापों के बारे में बताया। नाटिका के जरिए हमें किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हुए महावीर स्वामी की आस्था पर केंद्रित मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
प्रतिष्ठाचार्य ने अपने आशीर्वचन में कहा, उत्तम शौच के दिन वैचारिक शुचिता रखते हुए लोभ का त्याग करना है। 48 पर्यायों के बाद यदि निगोद में चले गए तो बड़ी मुश्किल होती है। प्रतिष्ठाचार्य ने भगवान बाहुबली गोम्टेश के बारे में बताते हुए कहा, भगवन का एक अंगूठा ही इतना बड़ा है कि उसमें 108 श्रीफल रखे जा सकते हैं। भरत क्षेत्र में जिन तीर्थंकरों का जन्म होता है, उनका पांडुकशिला, पश्चिम विदेह क्षेत्रों के तीर्थंकरों का पाण्डुकंबला शिला और पूर्व विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों का रक्तकंबला शिला पर अभिषेक होता है। सुमेरु पर्वत के महत्व को भी बताया। लोभ कषाय के अभाव में उत्तम शौच धर्म का उदय होता है। उन्होंने सेठ-सेठानी और चोर की कहानी के जरिए बताया कि हमें लोभ नही करना चाहिए, जितना आप आज लोभ का त्याग कर सकें, ऐसा संकल्प करें। गौतम गणधर को भी लोभ के कारण ही भगवान महावीर के मोक्ष जाने के बाद ही मोक्ष प्राप्त हुआ। धर्ममय माहौल में तत्वार्थसूत्र जैसे संस्कृत के क्लिष्ट शब्दों वाली रचना के चतुर्थ अध्याय का दक्ष जैन ने बड़े ही भावपूर्ण तरीके से वाचन किया।
दूसरी ओर उत्तम आर्जव धर्म की संध्या पर प्रतिष्ठाचार्य ने श्री तुंगाचार्य द्वारा रचित श्री भक्तांवर स्त्रोत का पाठ वाचन किया। प्रतिष्ठाचार्य जी ने उत्तम आर्जव धर्म का अर्थ बताते हुए कहा, मन, वचन और काय को छल प्रपंच से बचाना, सीधा, सच्चा और अच्छा सोचना, बोलना और करना, न्याय नीति से धन अर्जन करना, कुटिलता से बचना और ईमानदारी से कर्तव्यों का पालन करना ही आर्जव धर्म है। उन्होंने बताया, उत्तम आर्जव को अपने जीवन में लाने के लिए हमें तीन चीजों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। सबसे प्रथम हमें स्वयं से धोखा नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम में डॉ. एसके जैन, डॉ. रवि जैन, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. नीलिमा जैन, डॉ. अर्चना जैन, डॉ. विनीता जैन, डॉ. नम्रता जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. विनोद जैन, श्रीमती आरती जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, श्रीमती विनीता जैन, श्रीमती रितु जैन आदि उपस्थित रहे। इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर से डॉ. विपिन कुमार, डॉ. राहुल शर्मा, श्री राहुल विश्नोई, डॉ. आशीष, डॉ. गरिमा गोस्वामी, डॉ. जरीन फारूक, डॉ. अलका वर्मा, श्री प्रदीप वर्मा, श्री अमित कुमार, श्री अरूण पिपरसिनिया, डॉ. अजीत कुमार की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही।