ऋषिकेश । एम्स ऋषिकेश में सेंटर फॉर एविडेंस सिन्थेसिस एंड पब्लिक पॉलिसी के तत्वावधान में साक्ष्य आधारित चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास और वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि साक्ष्य आधारित चिकित्सा अभ्यास के आधार पर हमारे चिकित्सक पर्याप्त अनुभव के साथ मरीजों का बेहतर इलाज कर सकेंगे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में बुधवार को आयोजित कार्यशाला में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन प्रैक्टिस के बारे में विस्तार से चर्चा की गई और चिकित्सा विज्ञान में इसकी उपयोगिता की बारीकियां समझाई गईं। एम्स ऋषिकेश में स्थापित सेंटर फॉर एविडेंस सिन्थेसिस एंड पब्लिक पॉलिसी के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला का आयोजन मेडिकल के छात्र-छात्राओं को लाभान्वित करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि राज्य के शहरी विकास, वित्त व विधायी मंत्री डॉ. प्रेमचन्द अग्रवाल ने साक्ष्य आधारित चिकित्सा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इलाज के लिए बेहतर पद्धति बताया। उन्होंने कहा कि मेडिकल के छात्रों के लिए इस शिक्षा से उनका अनुभव और अधिक बढ़ेगा और चिकित्सा क्षेत्र में इसका लाभ सभी लोगों को मिलेगा। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में एम्स ऋषिकेश को राज्य के लिए वरदान बताया और कहा कि कोविड के दौरान एम्स ने हजारों लोगों की जान बचाई है। एम्स द्वारा संचालित किए जा रहे अनुसंधान कार्यक्रमों से चिकित्सा क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां हासिल होंगी। उन्होंने कहा कि चिकित्सक के मृदुभाषी होने से मरीज का मनोबल बढ़ता है और रोगी व्यक्ति दवा के साथ-साथ डॉक्टर के व्यवहार से भी ठीक होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि प्रत्येक चिकित्सक रोगियों के साथ बात करते समय अपने व्यवहार में मधुरता अपनाएं।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डाॅ. मीनू सिंह ने कार्यक्रम को मेडिकल के छात्रों के लिए बहुउपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए एम्स ऋषिकेश में सेंटर फॉर एविडेंस सिन्थेसिस एंड पब्लिक पॉलिसी का एक विशेष केन्द्र स्थापित किया गया है। इससे मेडिकल के छात्रों को चिकित्सा क्षेत्र में होने वाले नए शोधों की जानकारी हासिल करने के साथ-साथ साक्ष्य आधारित चिकित्सा पद्धति को सीखने का भी अवसर प्राप्त होगा। इसके अलावा उन्हें मेडिसिन के सही उपयोग के बारे में भी गहन जानकारी प्राप्त होगी। डीन एकेडेमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि साक्ष्य आधारित चिकित्सा वह पद्धति है, जो अच्छी तरह से सम्पन्न किए गए अनुसंधानों से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इलाज का निर्णय लेती है।
कार्यक्रम को कार्यशाला की आयोजन सचिव डॉ. भावना गुप्ता, सीएफएम विभाग के डॉ. अजीत सिंह भदौरिया सहित कई अन्य फैकल्टी सदस्यों ने भी संबोधित किया। संस्थान के सीनियर लाईब्रेरियन संदीप कुमार सिंह के संचालन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सैना, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. प्रतीक पाण्डा, डॉ. मोहित धींगरा, वित्तीय सलाहकार ले.कर्नल डब्लू.एस. सिद्वार्थ, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत जी, विधि अधिकारी प्रदीप कुमार पाण्डेय, संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल, एलजेबियर प्रकाशन समूह की डॉ. ईशिमा और बीएमजे प्रकाशन की पूजा नायर समेत बड़ी संख्या में मेडिकल के स्टूडेंट्स व इन्टर्न शामिल थे।