टीएमयू में भारतीय ज्ञान पद्धति पर होगी नेशनल कॉन्फ्रेंस, डॉ. भट्ट भी करेंगे शिरकत
मुरादाबाद :
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग-एफओई के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में टीएमयू और भारत के स्वदेशी विज्ञान आंदोलन, दिल्ली के सहयोग से प्राचीन और आधुनिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संदर्भ में सतत विकास- विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विद्वान 03 नवंबर को करेंगे मंथन
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग-एफओई के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में भारत के स्वदेशी विज्ञान आंदोलन, दिल्ली के सहयोग से प्राचीन और आधुनिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संदर्भ में सतत विकास- विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर कल यानी 3 नवंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस होगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस में जलवायु परिवर्तन, विज्ञान और मानविकी, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, वित्त प्रबंधन, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शासन और राजनीति, राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन, टिकाऊ गतिशीलता और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर से अतिथि अपने-अपने अनुभवों को साझा करेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस में भारत के ज्ञान की समृद्ध विरासत और सतत विकास के आधुनिक दृष्टिकोण के बीच तालमेल का पता लगाने के लिए देश और दुनिया भर के दिग्गजों, विद्वानों, विशेषज्ञों और विचारकों को एक साथ जोड़ना है। इस कॉन्फ्रेंस में स्वदेशी साइंस मूवमेंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. डीपी भट्ट की उल्लेखनीय मौजूदगी रहेगी। द्विभाषीय स्मारिका का विमोचन होगा, जबकि तकनीकी सत्र ब्लैंडेड मोड में होगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस में डीआरएम मुरादाबाद श्री आरके सिंह बतौर मुख्य अतिथि, यूपी पीडब्ल्यूडी विभाग के मुख्य अभियंता श्री एसपी सिंह गंगवार और यूपी जल निगम के मुख्य अभियंता श्री एके सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत करेंगे। टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन, एफओई के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी की भी गरिमामयी मौजूदगी रहेगी। टीएमयू के ऑडी में प्रातः 9ः30 बजे नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारम्भ होगा। इससे पूर्व अनुष्ठान और वेद स्तुति होगीं। कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह कहते हैं, यह नेशनल कॉन्फ्रेंस पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक ज्ञान के साथ जोड़ने के यूनिवर्सिटी के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।
रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने कहा, युवाओं के लिए यह जरूरी है कि वैश्वीकरण के तीव्र तकनीकी युग में हम अपने पूर्वजों के ज्ञान और वर्तमान के ज्वलंत मुद्दों पर इसकी प्रासंगिकता को पहचानें। डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने उम्मीद जताई, हमारे सम्मानित वक्ता, शोधकर्ता और विद्वान हमें उस यात्रा में मार्गदर्शन करेंगे, जो भारतीय ज्ञान प्रणालियों की अमूल्य विरासत छूती है और कैसे आधुनिक, वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग प्रथाओं को पूरक और समृद्ध करती है। एफओई एंड सीसीएसआईटी के निदेशक एवम् कॉन्फ्रेंस चेयर प्रो. आरके द्विवेदी ने उम्मीद जताई, यह कॉन्फ्रेंस साइंस और टेक्नोलॉजी के छात्रों, शोधार्थियों और फैकल्टी के लिए मील का पत्थर साबित होगी। कांफ्रेंस के समन्वयक श्री अरुण कुमार पिपरसेनिया ने कहा, प्राचीन भारतीय विज्ञान को स्थानीय भाषा में बढावा देकर हम नवयुवकों को सभी क्षेत्रों में शोध के लिए बढावा दे सकते हैं। विज्ञान भारती की ओर से कांफ्रेंस के समन्वयक डॉ. विकास श्रीवास्तव कहते हैं, अंग्रेजी का विरोध किए बिना हिंदी भाषा को प्रस्तुति में वरीयता दी जाएगी। सिविल इजीनियिरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष सिमल्टी ने कहा, विज्ञान का प्रसार स्थानीय भाषा में होना अति आवश्यक हैै।