

अति संवेदनशील हिमालयी राज्य उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों, जमीनों की सुनियोजित रूप से हो रही असीमित खरीद, कब्जों से उत्तराखंडी अस्मिता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उत्तराखंड बनने व खास कर कोरोना महामारी के बाद इस प्रक्रिया में अभूतपूर्व तेजी आई है।
आज हर उत्तराखंडी महसूस करता है की राज्य निर्माण के पिछले 23 वर्षों में राज्य आंदोलन के सपने बिखर गए हैं और राज्य की जन अवधारणा को सुनियोजित रूप से भटकाया जा रहा है। अपने आत्म निर्णय व विकास के लिए अलग राज्य के संघर्ष में सब कुछ न्यौछावर करने वाले सभी मूल निवासी एवं पर्वतीय भू भाग सरकारों की जन विरोधी नीतियों व अभूतपूर्व पलायन विस्थापन की मार को झेल रहे हैं। अपने व्यवसायों, रोजगारों व नौकरियों से भी हाथ धो रहे हैं।
इस दौरान सदियों से चली आ रही प्रबुद्ध, संघर्षशील व ईमानदार समाज की हमारी पहचान पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं और हम आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी निरंतर कमजोर हो रहे हैं। स्थितियां इतनी गंभीर हैं कि हमारे विकास के बहाने सरकारी संरक्षण में हमारे क्षेत्र में घुस आए भू माफिया, लुटेरी कंपनियां शांत पर्वतीय क्षेत्रों में आपराधिक षड्यंत्र व अराजकता के बीज बो रहे हैं।
साथियों दिन प्रतिदिन गंभीर हो रही इन स्थितियों को लेकर हमारे समाज को आज चिंतन – मनन और एकजुटता से सामना करने की जरूरत है जिसके लिए भू माफिया भगाओ – पहाड़ बचाओ / उत्तराखंड बचाओ अभियान की ओर से 5 मई को दोपगर 12 बजे से शिखर होटल मॉल रोड अल्मोड़ा में एक खुली गोष्ठी / जन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें आप सभी सहयोगियों के साथ सादर आमंत्रित हैं।