उत्तराखंड

जगदीश को इस तरह याद करें कि फिर किसी जगदीश की हत्या न हो

पनुवाद्योखन, सल्ट निवासी जगदीश चन्द्र यदि आज जीवित होते तो 35 वर्ष के होते और डेढ़ वर्षीय पुत्र मयंक उनकी गोद में खेल रहा होता।

परंतु 1 सितंबर 2022 को जब वह हेलंग मे महिलाओं की घास लूटने वाली सरकार बहादुर के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन में भाग लेने के लिए नैनीताल आ रहे थे, तो उनका अपहरण कर सुनियोजित रूप से उनकी हत्या कर दी गई। जबकि 27 अगस्त को जगदीश एवं गीता (गुड्डी ) द्वारा अपने ऊपर आसन्न खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी अल्मोड़ा व एस एस पी अल्मोड़ा को अपने जीवन की सुरक्षा के लिए आवेदन किया गया था, किंतु सरकार जगदीश की जान बचाने में असफल रही। जगदीश की दर्जनों हड्डियां तोड़ दी गई थी, व उसको बुरी तरह यातनाएं देकर उसकी निर्मम हत्या की गई जिसका प्रमाण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में है।

जगदीश उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रखर उदीयमान दलित युवा नेता थे जिन्होंने उपपा से दो बार सल्ट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। 11 सितंबर 2022 को पनुवाद्योखन में जगदीश की हत्या के बाद श्रद्धांजलि सभा की गई तथा 16 सितंबर 2022 को इस हत्या के खिलाफ उपपा के साथ राज्य की प्रगतिशील एवं सामाजिक न्याय की ताकतों ने भिकियासैंण में जबरदस्त प्रदर्शन किया। 27 सितम्बर, 2022 को अल्मोड़ा में तमाम जन संगठनों द्वारा विशाल प्रदर्शन किया गया इसके साथ ही नैनीताल व राज्य के अन्य क्षेत्रों में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए लगातार प्रदर्शन किए गए, लेकिन सरकार एवं सत्तारूढ़ दल की ओर से पीड़ित परिवार को सहानभूति के दो शब्द भी नसीब नहीं हुए।

जगदीश की हत्या गीता से अन्तर- जातीय विवाह किए जाने के कारण की गई थी। जगदीश की हत्या में जगदीश की पत्नी गीता का सौतेले पिता जोगा सिंह, गीता का सौतेला भाई गोविंद सिंह और गीता की सगी माँ भावना देवी शामिल थे। ऑनर किलिंग की इस घटना के खिलाफ उपपा के प्रतिरोध व लगातार सक्रिय कानूनी पैरवी के कारण ये तीनों आज भी जेल में बंद हैं। जगदीश की पत्नी गीता को लगभग 6 माह जेल से भी बदतर व्यवस्था वाले नारी संरक्षण गृह में रहना पड़ा, जबकि वह गर्भवती भी थीं। अब जगदीश की पत्नी गीता व उनका पुत्र मयंक जगदीश के घर में उनके दो बड़े भाईयों, उनकी माँ व बहन गंगा के साथ रह रहे हैं।

जगदीश एक मेहनती एवं संघर्षशील व्यक्ति थे जो ईमानदारी से मेहनत और मजदूरी से अपनी बूढ़ी मां एवं बहन की देखभाल करते थे।

1 सितंबर, 2024 को जगदीश की द्वितीय पुण्यतिथि पर उनके संघर्षों को अवश्य याद करें और इस घृणित हत्या के खिलाफ जहां भी हों अपनी आवाज बुलंद करें ताकि हमारे समाज में फिर किसी जगदीश की हत्या न हो।* इसके लिए सभी लोगों को सजग, संवदेनशील एवं अन्याय, अत्याचार व जातीय भेदभाव के खिलाफ निरंतर संघर्षरत रहने की जरूरत है।

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