उत्तराखंडराजनीति

7 नवंबर को प्रदेश भर में लोकतंत्र बचाओ, उत्तराखंड बचाओ आंदोलन

देहरादून । राज्य के स्थापना दिवस से दो दिन पहले आगामी 7 नवंबर को प्रदेश भर में विभिन्न आम नागरिक, विपक्षी दल एवं जन संगठन धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन और घर पर धरने कर आवाज़ उठाने वाले हैं। प्रेस क्लब देहरादून में आज इसपर हुई प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने बताया कि  कार्यक्रम देहरादून, उत्तरकाशी, नैनीताल, रामनगर, बागेश्वर, श्रीनगर, चमियाला, पिथौरागढ़, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, चमोली, और राज्य के अन्य जगहों में आयोजित होंगे। आंदोलन द्वारा राज्य की जनता सवाल उठाएंगे की लोकतंत्र को कमज़ोर कर, जल जंगल ज़मीन पर लोगों के हक़ों को खत्तम कर, सिर्फ बड़ी कंपनी, भ्रष्ट अधिकारी और माफियों के हित में नीतियां बनाई जा रही है। जिससे असली विकास, स्थायी रोज़गार और असली लोकतंत्र कहीं स्थापित नहीं हो सकता है।
लोगों को बेघर करना; राशन से बहुत परिवारों को वंचित करना; गरीबों, मज़दूरों, युवाओं के लिए बने हुए योजनाओं में बेहद भ्रष्टाचार और बेअंत विलंबों को अंजाम देना; और साथ साथ में परियोजनाओं के बहाने बड़ी कम्पनयों को 37 प्रकार के अलग छूट और सब्सिडी देना, बड़े बिल्डरों और कम्पनयों के अतिक्रमण और संसाधन के लूट पर नज़र अंदाज़ करना, इस प्रकार के नीतियों पर वक्ताओं ने आक्रोश जताया। इसके अतिरिक्त अंकिता भंडारी और जगदीश चंद की बर्बर हत्याओं से पूरा राज्य में जन आक्रोश उभर कर आया, लेकिन यह सिर्फ कुछ घटनाओं की बात नहीं है – कुछ सालों से राज्य में कानून के राज कमज़ोर हो रहा है। भीड़ की हिंसा और नफरत की राजनीती को अंजाम दिया गया है। UKSSC घोटाला से ले कर हेलंग के महिलाओं पर हुए हमलों तक, हर क्षेत्र में लोगों के क़ानूनी और संवैधानिक हक़ों पर हनन हो रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि आंदोलन द्वारा जनता कुछ मांगे उठाएंगे। जल जंगल ज़मीन पर लोगों के हक़ हकूकों को स्थापित करने के लिए तुरंत कानून बनाया जाए कि किसी को बेघर नहीं किया जाएगा;  2018 का भू कानून संशोधन को रद्द किया जाये; वन अधिकार कानून के तहत हर गांव को अधिकार पत्र दिया जाये; भू सुधार को पूरा किया जाये और ज़मीन पर महिलाओं, ग्राम सभा भूमि पर बसे छोटे किसानों और दलितों का मालिकाना हक़ को सुनिश्चित किया जाये; जंगली जानवरों के हमलों को ले कर योजना बनाया जाये।  राज्य में लोकतंत्र को मज़बूत किया जाये, और इसके लिए पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायलय के फैसला के अनुसार स्वतंत्र पुलिस शिकायत आयोग बनाये; लोकायुक्त को सक्रिय किया जाये; 2018 का उच्चतम न्यायलय के फैसला के अनुसार भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए व्यवस्था बनाया जाये। राज्य में अर्थव्यवस्था के लिए जनहित नीतियों को बनायी जाये – कल्याणकारी योजनाओं में विलम्ब पर सख्त कार्रवाई की जाए; राशन सबको मिले और बुनियादी वस्तुओं सबको उपलब्ध कराया जाए, जैसे केरल में किया जाता है; कॉर्पोरेट को दी जा रही छूट और सब्सिडी को खत्तम कर MNREGA के अंतर्गत 200 दिन का काम 600 रुपये के रेट पर दिया जाये और शहरों में भी रोज़गार गारंटी को शुरू किया जाये; महिला मज़दूरों और किसानों के लिए सहायता का योजना बनाया जाये; अग्निपथ योजना को रद्द किया जाये; किसानों के फसलों के लिए MSP सुनिश्चित किया जाये; स्वास्थ और शिक्षा को मज़बूत किया जाए।
इन मुद्दों को ले कर देहरादून में 7 नवंबर को लोग सचिवालय कूच करेंगे। अन्य क्षेत्रों में अलग अलग कार्यक्रम किये जायेंगे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कौंसिल मेंबर समर भंडारी; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल; बार कौंसिल के पूर्व राज्य अध्यक्ष रज़िया बैग; आल इंडिया किसान सभा के राज्य अध्यक्ष SS सजवाण; आल इंडिया किसान सभा के राज्य सचिव के गंगाधर नौटियाल; और पीपल्स साइंस मूवमेंट के कमलेश कंथवाल ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया।

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