चमोली जनपद में उत्तराखण्ड की संस्कृत साहित्य परम्परा पर आयोजित होगी संगोष्ठी
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत माह मनाने का संकल्प लिया गया है। इस क्रम में उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद में संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। डा. शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग के सहायक प्राध्यापक डा. मृगांक मलासी को चमोली जिले का संयोजक बनाया गया है।
महाविद्यालय के ही संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डा. हरीश बहुगुणा इस कार्यक्रम के सहसंयोजक होंगे। प्राचार्य प्रो.के. एल. तलवाड़ ने बताया कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसारार्थ यह अनूठी पहल की गई है। महाविद्यालय अपने स्तर पर भी संस्कृत भाषा के प्रचार हेतु समय-समय पर विभिन्न आयोजन करवाता रहता है। संस्कृत हमारे उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है अतः ऐसे में और भी आवश्यक है कि इस भाषा और इसमें छिपे वैज्ञानिक सिद्धांत आदि ज्ञान को जानें।
उत्तराखंड के राज्य संयोजक के रूप में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव डा. एसपी खाली समस्त राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा हमारे साथ जुड़ें और अपनी संस्कृति को पहचानें।
डा. मृगांक मलासी ने बताया की चमोली जनपद में 15 सितंबर को उत्तराखंड की साहित्य परंपरा विषय पर ई-संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। प्रो. सविता मोहन पूर्व संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित होंगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री मुनीश्वर वेदांग महाविद्यालय ऋषिकेश के प्रधानाचार्य, डॉ. जनार्दन कैरवान को निमंत्रित किया गया है।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में फरीदाबाद, हरियाणा महाविद्यालय के प्राध्यापक, संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य विद्वान डॉक्टर जोरावर सिंह विषय विशेषज्ञ के रूप में होंगे।
उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी हरीश गुरुरानी सहित अन्य जन भी कार्यक्रम में होंगे।