उत्तराखंडराजनीति

सुनील ध्यानी ने छोड़ी यूकेडी की कुर्सी

देहरादून। जब सभी राजनीतिक दल चुनाव के लिए अपने हथियारों को पैना करने में लगे हैं। जब सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे दलों में सेंधमारी कर उनके कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में करने का मनोवैज्ञानिक खेल खेल रहे हैं, तब उत्तराखंड राज्य आंदोलन का नेतृत्व करने वाला उत्तराखंड क्रांति दल लगातार अंतकर्लह से जूझ रहा है। वह पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दल में ही रोकने में विफल हो रहा है। वह भी तक जबकि दल की बागडौर सबसे वरिष्ठ नेता और कई बार के विधायक रहे काशी सिंह ऐरी केहाथ में है। इस बार दल के केंद्रीय प्रवक्ता व कोषाध्यक्ष सुनील ध्यानी ने दल को अलविदा कह दिया।

पार्टी के अध्यक्ष को भेजे इस्तीफे में ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल में उनका सफर तीन दशक का है। दल के गठन व महान वैज्ञानिक डॉ डी० डी० पंत जी के पृथक उत्तराखंड राज्य संघर्ष आंदोलन की शुरुआत जो बाद में पहाड़ के गांधी स्व० इंद्रमणि बड़ोंनी जी के कुशल नेतृत्व में जन आंदोलन में प्रतिभाग किया। दल के अनेक पदों में आपने कर्तव्य का निर्वहन बखूबी से किया | उक्रांद कि छात्र इकाई उत्तराखंड स्टूडेंट फ़ेडरेशन (यु एस एफ ) से राजनीति देहरादून जिलाध्यक्ष के रूप में शुरुआत करी, जिसमें कि केंद्रीय प्रवक्ता व कोषाध्यक्ष का निर्वहनकिया। देहरादून युवा प्रकोष्ठ का महानगर अध्यक्ष, केंद्रीय सचिव, केंद्रीय महामंत्री व लगातार केंद्रीय प्रवक्ता के पद पर रहा। दल के मुख्य संगठन का प्रवक्ता, मिडिया प्रभारी व अतिरिक्त प्रभार देहरादून जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष पद पर दल की सेवा की।

लेकिन नेतृत्व का अहम,वर्चुश्व कि लड़ाई के कारण आज राज्य का नियता वाला दल नेपथ्य में जा चुका हैं। दल के पदों पर योग्य और दक्षता को नेतृत्व अनदेखा कररहा है। इससेवह घुटन महसूस कर रहे हैं। कहा कि ऐरी जैसे कुशल राजनीतिज्ञ, संसदीय परम्पराओं का ज्ञाता, विद्वान व्यक्तित्व के होते ये सब होना बड़ा चिंतनीय विषय हैं। गुटबाजी, क्षेत्रवाद का प्रदर्शन ही उक्रांद के भविष्य को चौपट कर रहा हैं | ऐसे में वह दल के पद व दल की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। ध्यानी ने अपना इस्तीफा स्व० विपिन चंद्र त्रिपाठी की 17 वीं पुण्यतिथि पर पार्टी कार्यालय में उनको श्रद्धांजलि देने के बाद दिया।

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