

लंबगांव। लंबगांव बचाओ संघर्ष समिति ने अब आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है समिति ने आरोप लगाया है कि देहरादून में नेता-अधिकारी-भू माफिया मिलकर सरकारी जमीनों को खुर्द बुर्ज करने पर लगे हैं। बावजूद इसके सरकार खामोश है जबकि दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के खिलाफ डंडा चलाया जा रहा है। सरकार ने लंबगांव को लेकर अपने आदेश वापस नहीं लिए तो करो या मरो आंदोलन चलाया जाएगा।
सरकार की नाक के नीचे देहरादून के सुदूर गांव तक माफियाओं ने जमीनों की खरीद-फरोख्त कर लिए। राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कई जनप्रतिनिधियों से सांठगांठ कर भूमाफिया वन भूमि और ग्राम पंचायत की जमीन बेच रहे हैं। यह जमीने स्टांप पर बिक रही है। इन स्थानों पर ऐसे लोगों को बसाया जा रहा है जो उत्तराखंड के मूल निवासी भी नहीं है। इन जमीनों पर गैर उत्तराखंड यों के बसने से सामाजिक असंतुलन भी खड़ा हो रहा है। जबकि जमीनों की खरीद-फरोख्त भी बाहरी प्रदेश के भूमाफिया कर रहे हैं लेकिन सरकार की नजर इस ओर नहीं है। समिति ने कहा कि लंब गांव बाजार का अस्तित्व कई दशक पुराना है लेकिन सरकार अब उन्हें हटाने पर तुली है। उनका कहना है कि यदि यह भूमि राजस्व विभाग या वन विभाग की है सरकार को चाहिए कि वह इस भूमि को कब्जा धारियों को पट्टा बनाकर आवंटित करें। क्योंकि यहां मरना यहां मकान बनाकर कई लोगों का रोजगार चल रहा है। समिति का कहना है कि सरकार को इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय लेना चाहिए उन्होंने कहा कि यह जो लोग का बीज है वह राजा आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन मकानों पर कई सरकारी विभाग भी किराए पर रहते हैं। यदि इन मकानों को उड़ाया जाता है तो यह विभाग कहां जाएंगे। इसके साथ ही कई लोगों ने बैंकों से ऋण लिया है। मकान ढहने से वहां रेन कैसे चुकाएंगे। समिति ने कहा कि यदि सरकार ने अपना तुगलकी फरमान वापस नहीं लिया तो प्रताप नगर में एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो जाएगा।
इस अवसर पर रमेश रावत उपाध्यक्ष अर्जुन बिष्ट महासचिव त्रिलोक बिष्ट सचीब सौरव रावत सहासचीब चंद्रभानु बगियाल कोषाध्यक्ष केदार सिंह राणा कबूल सिंह पवार रोशन लाल सेमवाल जी महावीर सिंह थलवालजी संरक्षक । आदि ने विश्वास जताया कि सरकार उनकी रोजी -रोटी और से खिलवाड़ नहीं करेगी और नोटिस वापस ले लेगी।