उत्तराखंडराजनीति

उत्तराखंड के मूल सवाल होने चाहिए चुनाव के केंद्र में

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने जारी किया अपना घोषणा पत्र।

देहरादून। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने शनिवार को रिस्पना के समीप स्थित अपने कार्यलय में विधानासभा चुनाव के संबंध में पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। पार्टी के केंद्रिय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड में जल जंगल और जमीन को बचाने के सवाल चुनाव में केंद्रिय बिंदु होने चाहिए। राजगार, स्वास्थया, पेजल, बिजली, सड़क आदि सुविधाओं को लेकर भी स्पष्ट नीति होनी चाहिए।उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र निमन बिंदुओं के आधार पर जारी किया:-
1. प्राकृतिक संसाधनों व जमीनों पर जनता के अधिकार सुनिश्चित करने, भाजपा सरकार द्वारा बनाये गये कृषि भूमि के असीमित खरीद के काले कानून को रद्द करने, बेनाप भूमि को ग्राम समाज को सौंपने और पूर्वोत्तर राज्यों की तरह उत्तराखण्ड राज्य को संविधान के 371 का संरक्षण प्रदान करना।
2. उत्तराखण्ड की जमीनों पर गैरकानूनी रूप से कब्जा करने, सरकार द्वारा दी गई अनुमतियों का दुरूपयोग करने वाले पूंजीपतियों/माफियाओं के जमीनों व सम्पत्तियों की जब्ती के साथ इन घोटालों में शामिल अधिकारियों/ राजनेताओं/कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज करना।
3.सभी के लिए समान गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ कर उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
4.पर्वतीय क्षेत्रों की खेती किसानी हमारे जीवन का प्रमुख आधार रहा है जिसे सुनियोजित रूप से सरकारी नीतियों से नष्ट किया गया है उसे पुर्नजीवित करते हुए जंगली जानवरों से खेती की रक्षा सुनिश्चित करने पर जोर।
5.सरकारी नौकरियों सहित अन्य क्षेत्र में रोजगार की ठेकेदारी व्यवस्था समाप्त करने, आशा, ग्राम प्रहरी, आगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, भोजन माताओं, पी0आर0डी0 जवानों जैसे सभी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतनमान रू 21000.00 करने की व्यवस्था करना।
6.सभी युवा बेरोजगारों को योग्यतानुसार काम व सम्मानजनक बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था करना।
7.कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली और गोल्डन कार्ड के नाम पर लूट को समाप्त करना।
8.भू-खनन, शराब माफियाओं को मिलने वाले नौकरशाही व राजनीतिक संरक्षण की व्यवस्था का समाप्त करना।
9.पंचायत व्यवस्था को सुदृढ़ कर ग्राम, क्षेत्र व जिला सरकार का दर्जा देने और क्षेत्र प्रमुखोें व जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता द्वारा तय करना तथा वन गांवों को मूलभूत सुविधाओं के साथ अधिकार संपन्न बनाना।
10.हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरण व संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए जनभागीदारी से विकास की प्रक्रिया का निर्धारण व विनाशकारी योजनाओं पर रोक लगाने की व्यवस्था।
11.जन्म के कारण हर तरह के भेदभाव की समाप्ति, गरीबों, वंचितों, महिलाओं, पिछड़ें क्षेत्रों, फेरी-फड़ विक्रेताओं के अधिकारों का संरक्षण और सभी के लिए गरिमापूर्ण जीवन व नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी की व्यवस्था।
12.दूषित एवं धन तंत्र पर आधारित चुनाव प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन हेतु संघर्ष करना।

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