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देहरादून । केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया बजट पूरी तरह से 2023 के चुनावी राज्यों को समर्पित बजट है। इस बजट में गरीबों, किसानों बेरोजगारों के लिए कोई ऐसा प्रावधान नहीं किया गया जिससे इस वर्ग के लोगों को लाभ पहुंच सके। इस समय महंगाई देश की सबसे बड़ी समस्या है। बजट से महंगाई पर रोक लगने के साथ-साथ लोगों को रोजगार मिले इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
उत्तराखंड में जोशीमठ आपदा के लिए भी बजट में कोई प्रावधान न करने से उत्तराखंड के लोग पूरी तरह से निराश और हताश हैं। जोशीमठ की आपदा के अलावा राज्य इस समय जिन परेशानी से गुजर रहा है उस से उबरने के लिए राज्य को एक बड़े पैकेज की जरूरत है, जिसको वितमंत्री ने पूरी तरह नजरंदाज करके उत्तराखंड को निराश किया है।
वित्त मंत्री ने बजट पर टैक्स स्लैब की चादर को तानकर बजट की सारी कमियों को छुपाने का शानदार प्रयास किया है। जिस तरह से 2020 की फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति के अहमदावाद दौरे में गरीब बस्तियों को छुपाने के लिए एक दीवार बनाई गई ठीक ऐसे ही इस बजट में टैक्स स्लैब की दीवार बनाकर बजट की कमजोरियों को छुपाया गया है। मोदी सरकार का यह बजट इस वित्तीय वर्ष में भारी पड़ेगा या अडानी का शेयर बाजार की हेराफेरी का बाउंसर भारी पड़ेगा यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। वित्त मंत्री ने 44 करोड लोगों के बीमा करने का दावा किया लेकिन एलआईसी के 70000 करोड़ों अडानी की कंपनियों शेयर खरीदकर अदानी को दिए गए उसको छुपाया है। ऐसे ही प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का दावा किया गया लेकिन देश के 80 करोड़ लोग जिनको मुफ्त अनाज बांटा जा रहा है की गरीबी को छुपाने का प्रयास किया गया। देश में मात्र 7करोड लोग और 9 करोड़ वेतनभोगी लोग कुल 16 करोड लोग टैक्स के दायरे में आते हैं। बाकी 114 करोड़ लोग को टैक्स स्लैब से इस बजट में कोई फायदा नहीं हुआ। क्योंकि मोदी सरकार धनाढ्य लोगों को फायदा पहुंचाने वाली सरकार है इसलिए बजट में भी उन्होंने वही प्रावधान किए जिससे धनाढ्य लोगों को फायदा पहुंच सके। कहा जा सकता है कि बजट कुल मिलाकर के गरीब विरोधी, किसान विरोधी, रोजगार विरोधी एवं उत्तराखंड विरोधी बजट है।