उत्तराखंडराजनीति

लोकतांत्रिक अधिकारों का दायरा सिकुड़ रहा है

अल्मोड़ा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर नगर पालिका सभागार में मानवाधिकार, संविधान व लोकतंत्र विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित मानवाधिकारों को जमीन पर उतारने का काम सही ढंग से नहीं हो रहा है। इस मौके पर संगोष्ठी के संयोजक उपपा अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि जहां सरकारें मानवाधिकारों को लागू करने में कंजूसी दिखाती हैं वहीं हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है।
नगर पालिका सभागार में मानवाधिकार संविधान व लोकतंत्र विषय पर आयोजित संगोष्ठी का संचालन करते हुए पी सी तिवारी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में दिए गए मानवाधिकार हमारे लोकतंत्र के मुख्य आधार हैं। इनके बिना सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। संगोष्ठी में अपनी बात रखते हुए एडवोकेट जीवन चंद्र ने मानवाधिकार विषय के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सन् 1215 में मेग्नाकाटा से पूर्व मानवाधिकारों को प्राकृतिक अधिकारों के रूप के जाना जाता था। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने मानवाधिकारों का घोषणा पत्र जारी किया था। इनमें 30 घोषणाएं शामिल थीं।
संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि आज सरकारों की उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीतियों के कारण समाज में असमानता बढ़ रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व जीवन की मूलभूत सुविधाओं से बड़ी संख्या में लोग वंचित हो रहे हैं।
संगोष्ठी में अपनी बात रखते हुए कुमाऊनी पत्रिका पहरू के संपादक एडवोकेट हयात सिंह रावत ने कहा कि हमारे अधिकार संविधान में वर्णित तो हैं लेकिन सामाजिक राजनीतिक परिस्थितियों के कारण इनका हनन होता है। संस्कृतिकर्मी आलोक वर्मा ने कहा कि सामाजिक, पारंपरिक बंधन मौलिक स्वतंत्रता में बाधा बनते हैं जिसके खिलाफ जागरूकता जरूरी है।
बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने कहा कि उदारीकरण, निजीकरण की नीतियों के चलते सरकारें अपने दायित्वों से हट रही हैं। पूर्व पैरामेडिकल फोर्स के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर सिंह नेगी ने कहा कि देश में राजनेताओं, नौकरशाहों एवं अमीरों के हितों की रक्षा हो रही है जो चिंता की बात है। के. पी. जोशी ने गोल्डन कार्ड की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के बाजारीकरण से स्थितियां गंभीर हुई हैं।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय महामंत्री नरेश नौड़ियाल ने कहा कि निरंतर बढ़ रही आर्थिक विषमता, राजनीति व चुनावों में पूंजी के वर्चस्व ने देश की तमाम संस्थाओं का चरित्र बदल दिया है। उपपा के केंद्रीय महासचिव एडवोकेट नारायण राम ने कहा कि आत्मसम्मान के लिए संघर्ष किए बिना हमें कुछ भी नहीं मिलेगा। सालम समिति के पत्रकार राजेंद्र रावत ने कहा कि सरकारें सुनियोजित रूप से लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रही है।
संगोष्ठी में उपपा की केंद्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती आनंदी वर्मा, एडवोकेट मनोज कुमार पंत, वसीम अहमद, सामाजिक कार्यकर्ता घनेली के नंदा बल्लभ भट्ट, फलसीमा नव युवा मंगल दल के करन जोशी, महेंद्र बिष्ट, एडवोकेट गोपाल राम, शोध छात्रा भारती, उपपा की सरिता मेहरा, किरन आर्या, नगर अध्यक्ष हीरा देवी, दीवान सिंह, हेमा पांडे, उछास की भावना पांडे, किशन जोशी, आलोक पाठक, राजू गिरी समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।

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