उत्तराखंडराजनीति

उत्तराखण्ड में सामाजिक बदलाव का प्रखर आंदोलन है नशा नहीं रोजगार दो

अल्मोड़ा। नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन की 38 वीं वर्षगांठ पर उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी कार्यालय में आयोजित आंदोलन के संयोजक एवं उपपा के केन्द्रीय अध्यक्ष पी0सी0 तिवारी ने कहा कि उत्तराखण्ड के प्रमुख प्रखर जनआंदोलनों में शुमार इस आंदोलन ने जहां सत्ता व नशे के रिश्ते को बेनकाब किया वहीं इस आंदोलन ने 38 वर्ष पूर्व भीषण बेरोजगारी पर काम के अधिकार की बात की जो इस आंदोलन को आज भी वैचारिक रूप से सामाजिक बनाता है।


उपपा के केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित संगोष्ठी में इस आंदोलन का वर्षों से नेतृत्व कर रहे उपपा अध्यक्ष ने कहा कि 2 फरवरी 1984 को बसभीड़ा (चौखुटिया) से शुरू हुए इस आंदोलन ने जहां नौकरशाहों, राजनेताओं एवं सत्ता के गठजोड़ को बेनकाब किया वही इस आंदेालन ने हजारों लोगों को सामाजिक, राजनीतिक रूप से सक्रिय कर राज्य में बड़े बदलाव की नींव भी रखी। उन्होंने कहा कि पिछले 38 वर्षों से नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन की वर्षगांठ पर उत्तराखण्ड व देश की हालत पर गंभीर चर्चा और विमर्श के बाद आंदोलन से जुड़े साथी अपने समाज को बदलने की अपनी रणनीति तय करते हैं।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आंदोलन के ये नारे आज भी सामाजिक है कि ‘‘जो शराब पीता है वो परिवार का दुश्मन है, जो शराब बेचता है वो समाज का दुश्मन है’’। उन्होंने कहा कि तब उत्तराखण्ड संघर्षवाहिनी के नेतृत्व में चले इस आंदोलन का यह नारा आज भी सार्थक है कि ’’नशे का प्रतिकार न होगा, पर्वत का उद्धार न होगा’’। इस संगोष्ठी में उपपा के केन्द्रीय सचिव आनन्दी वर्मा, एडवोकेट नारायण राम, गोपाल राम, किरन आर्या, हीरा देवी, भावना मनकोटी, राजू गिरी, भारती पाण्डे, सरिता मेहरा, मीना देवी, मुहम्मद साकिब, नीता टम्टा, हरीश लाल, हेमा पाण्डे, वसीम अहमद व आदि लोग मौजूद रहे।

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