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टीएमयू बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा जैन रिसर्च हब

मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में स्थापित हुई गुरू श्री आत्म वल्लभ समुद्र सूरि जैन अक्षय निधि पीठ, टीएमयू और श्री ओस्तरा पाश्र्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट के बीच हुआ एमओयू साइन, टीएमयू की ओर से रजिस्ट्रार डाॅ. आदित्य शर्मा और ट्रस्ट की ओर से डाॅ. जय कुमार ढड्डा ने किए साइन
खास बातें
श्वेताम्बर पंथ के बड़े संत आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर महाराज साहेब की जन्म-शताब्दी का यूनिवर्सिटी में भव्य शुभारम्भ
आचार्य श्रीमद् विजय धर्म धुरंधर सुरिश्वर जी महाराज साहेब और कुलाधिपति श्री सुरेश जैन बने इस ऐतिहासिक पल के साक्षी
महाराजश्री को कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और जीवीसी श्री मनीष जैन ने 2000 वर्ष पूर्व आचार्य उमास्वामी के रचित ग्रंथ तत्त्वार्थसूत्र को किया सादर भेंट
धर्म धुरंधर सुरिश्वर जी महाराज बोले, कल्पवृक्ष की तरह ही यह पीठ होगी पुष्पित और पल्लवित
कुलाधिपति श्री सुरेश जैन बोले, एमओयू महज कोई दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक शिलालेख है
श्री आत्मानंद जैन सभा, मुरादाबाद और श्री ओस्तरा पाश्र्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट ने कुलाधिपति श्री सुरेश जैन को समाजरत्न की उपाधि से नवाजा
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में कार्तिक वदि नवमी पर दो इतिहास दर्ज हुए हैं। श्वेताम्बर पंथ के बड़े संत आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर महाराज साहेब की जन्म-शताब्दी का यूनिवर्सिटी की आडी में भव्य शुभारम्भ हुआ। आज से देशभर में संत विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर जी महाराज साहेब को लेकर सालभर कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा यूनिवर्सिटी में श्वेताम्बर विचारधारा के तीन बड़े संतों-श्री आत्म वल्लभ समुद्र सुरिश्वर जी महाराज साहेब जी के नाम पर जैन अक्षय निधि पीठ स्थापित हो गयी है। इससे पूर्व कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने गुरू श्री आत्म वल्लभ समुद्र सूरि जैन अक्षय निधि पीठ स्थापना की विधिवत घोषणा की। टीएमयू और श्री ओस्तरा पाश्र्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट के बीच एमओयू साइन हुआ। यूनिवर्सिटी की ओर से रजिस्ट्रार डाॅ. आदित्य शर्मा और ट्रस्ट की ओर से डाॅ. जय कुमार ढड्डा ने साइन किए हैं। दुनिया के जैन शोधार्थियों के लिए अब तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में जैन स्टडी और रिसर्च के द्वार खुल गए हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर देशभर से श्वेताम्बर धारा से संबद्ध सैंकड़ों भक्तों के संग-संग आचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सुरिश्वर जी महाराज साहेब और टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस प्रोग्राम में साधु-साध्वी वृंद के अलावा यूपी, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, जम्मू, दिल्ली आदि राज्यों से सैंकड़ों डेलीगेट्स ने भाग लिया। इससे पूर्व माँ सरस्वती और आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर महाराज जी साहेब जी के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शंखनाद हुआ। इस मौके पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन को श्री आत्मानंद जैन सभा, मुरादाबाद और श्री ओस्तरा पाश्र्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट की ओर से समाजरत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डीआईजी श्री शलभ माथुर, टीएमयू के जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, ड्यूक ग्रुप के चेयरमैन श्री कोमल चंद जैन, श्री अनिल जैन, डाॅ. जय कुमार ढड्डा, श्री संजीव जैन, श्री नेम चंद जैन आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। संचालन टीएमयू के निदेशक पीएनडी श्री विपिन जैन और आत्मानंद जैन सभा मुरादाबाद के महामंत्री श्री राजीव जैन ने बारी-बारी से किया। कार्यक्रम के अंत में गुरू श्री आत्म वल्लभ समुद्र सूरि जैन अक्षय निधि पीठ कक्ष का उदघाटन हुआ। जाने-माने विद्वान प्रो. धर्मचंद जैन को पीठ का प्रोफेसर चेयर नियुक्त किया गया।
आचार्य श्रीमद् विजय धर्म धुरंधर सुरिश्वर जी महाराज साहेब ने जैन अक्षय निधि पीठ को कल्पवृक्ष की मानिंद बताते हुए बोले, जैसे कल्पवृक्ष बढ़ने के संग-संग मानव को उसकी इच्छा के मुताबिक फल देता है, वैसे ही टीएमयू में आज पीठ रूपी बीजारोपण हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई, कल्पवृक्ष की तरह ही यह पीठ पुष्पित और पल्लवित होगी। यह पीठ छात्रों में शिक्षा के संस्कार प्रदान करेगी। धर्मधुरंधर जी बोले, जैन धर्म के सिद्धांत ज्ञान के रूप में प्रशस्त हैं। साथ ही उन्होंने ज्ञान और विज्ञान में अंतर करते हुए कहा, विज्ञान सदैव प्रयोग करता है, परन्तु ज्ञान सिद्धांतों पर आधारित होता है, यही शाश्वत सत्य है। जैन अक्षय निधि पीठ का सफल क्रियान्वयन किसी एक के बूते सम्भव नहीं है। उन्होंने अपने सभी तीर्थंकरों, गुरूओं और अपने माता-पिता का भावपूर्ण स्मरण करते हुए कहा इस पीठ की स्थापना में टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन का अनमोल एवं अविस्मरणीय योगदान है। कार्यक्रम में उल्लेखनीय मौजूदगी के लिए आचार्यश्री ने अपनी 95वें बरस की वयोवृद्ध माता जी साध्वी अमित गुना का भी दिल से विशेष आभार व्यक्त किया। पीठ को महायज्ञ की मानिंद बताते हुए बोले इसमें सभी की ओर से आहुति अनिवार्य है। उन्होंने साथी हाथ बढ़ाना रे… गीत भी सुनाया। इस पीठ की स्थापना आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर महाराज साहेब के सपनों के पूरा होने जैसा है। धर्मधुरंधर महाराज साहेब ने गुजरात की सिम्मी जैन और गाजियाबाद के अनिल जैन के दीक्षा देने का ऐलान किया। सिम्मी को दीक्षा मुरादाबाद, जबकि अनिल को लुधियाना में दी जाएगी। सम्बोधन से पूर्व पूज्य महाराज साहेब ने णमोकार मंत्र का जाप किया। इससे पूर्व महाराज श्री की मौजूदगी में ओडी के बाहर परमपूज्य आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सुरिश्वर महाराज साहेब की फोटो के समक्ष सौ दीपक जलाकर जन्म-शताब्दी कार्यक्रम की शुरूआत की।
टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने कहा, यूनिवर्सिटी और ट्रस्ट के बीच यह एमओयू महज कोई दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक शिलालेख है। हम रहें या न रहें, लेकिन यह शिलालेख आने वाली पीढ़ियों के लिए सदियों तक रहेगा। यह शिलालेख दिगम्बर पंथ या श्वेताम्बर पंथ की परम्पराओं से ऊपर सम्पूर्ण जैन समाज के युवाओं के लिए है। अपनी स्मृतियों पर जोर देते हुए बोले, एडमिशन देते वक्त मैंने कभी भी पंथों में भेद-भाव नहीं किया है। छात्र दिगम्बर हो या श्वेताम्बर या दीगर पंथ का, सभी को एक समान स्काॅलरशिप दी है। वह अपने स्वर्गीय पिताश्री श्री प्रेम प्रकाश जैन का भावपूर्ण स्मरण करते हुए बोले, पिताश्री की ही अनमोल सलाह पर यूनिवर्सिटी का नाम तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी रखा है। अंत में उन्होंने जैन समाज से आग्रह किया, कमजोर माली हालत के जैन बंधुओं के उत्थान के लिए हम सब संगठित होकर जुट जाएं। इस सुअवसर पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और जीवीसी श्री मनीष जैन ने 2000 वर्ष पूर्व आचार्य उमास्वामी के रचित ग्रंथ तत्त्वार्थसूत्र और एमओयू की प्रति सादर भेंट किए। कुलाधिपति, जीवीसी समेत फस्र्ट लेडी श्रीमती बीना जैन ने महाराजश्री, उनकी माता जी और अन्य साधु-साध्वी वृंद से आशीर्वाद लिया। इससे पूर्व महाराजश्री के प्रशस्ति पत्र का वाचन एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन ने किया। इसके बाद महाराजश्री को शाॅल ओढ़ाकर प्रशस्ति पत्र सादर भेंट किया।
टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह ने दुनिया के जाने-माने दार्शनिकों को कोट करते हुए कहा, सभी का सार यह है, स्टुडेंट्स के आंतरिक गुणों को विकसित करें ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास हो। उन्होंने आचार्य, दृष्टा और गुरू के महत्व को विस्तार से बताया। 150 साल पहले लाॅर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति की चर्चा करते हुए कहा, उस दौर में केवल डिग्री देने-लेने पर ही जोर दिया जाता था। प्रो. सिंह बोले, चार बरस पूर्व यूनिवर्सिटी के आदरणीय कुलाधिपति ने स्टडी को लेकर अपनी प्राथमिकताएं गिनाई थीं। हम उसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी में जैनोलाॅजी को लेकर फस्र्ट चेयर की स्थापना पर खुशी भी जताई। बड़ौदा की एमएस यूनिवर्सिटी के प्रो. दीपक शाह बोले, गुरूश्री आत्म वल्लभ समुद्र सूरि जैन अक्षय निधि पीठ श्वेताम्बर पंथ के तीन बड़े संतों के नाम पर रखी गयी है। उन्होंने टीएमयू की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा, जैन धर्म को लोगों तक पहुँचाने का काम टीएमयू भली-भांति कर रहा है। महाराजश्री के गुरू आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सूरि के स्वप्न को साकार करने के लिए पीठ रूपी लौ जला दी है। पीठ स्थापना के लिए कार्तिक वदि नवमी – 19 अक्टूबर 2022,  का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि इसी दिन आचार्य श्रीमद् विजय इंद्रदिन्न सूरि का जन्म-शताब्दी वर्ष प्रारम्भ हो रहा है। बड़ौदा की एमएस यूनिवर्सिटी के सीनेट मेम्बर डाॅ. जिगर इनामदार बोले, गुरू भगवान का साक्षात स्वरूप है।
तत्व हमेशा गुरू को विद्यार्थी जोड़कर रखता है। मैं जन्म से भले ही जैन नहीं हूँ, लेकिन कर्मों से जैन बन जाऊँगा। शक्ति को परिभाषित करते हुए बोले, श्रीराम ने शक्ति को भक्ति, श्रीकृष्ण ने युक्ति, रावण ने विभक्ति तो गुरू ने मुक्ति का मार्ग दर्शाया है। धर्म का ज्ञान मंदिर या मूर्ति तक ही नहीं रहना चाहिए, बल्कि धर्म को जीवित रखने के लिए जरूरी है कि उसे लोगों के हृदय तक पहुँचाए। टीएमयू के रजिस्ट्रार डाॅ. आदित्य शर्मा ने यूनिवर्सिटी की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, 2001 में दो कोर्सों से शुरू हुआ यह संस्थान आज 135 से भी अधिक कोर्स संचालित हैं। 140 एकड़ में आच्छादित यूनिवर्सिटी की झोली में नैक की ए ग्रेडिंग, यूजीसी से 12बी, आईसीएआर के एक्रीडेटेशन के संग-संग 372 पेटेन्टस, ढाई हजार रिसर्च पब्लिकेशन हैं। जाने-माने विद्वान प्रो. धर्मचंद जैन, श्री सिकन्दर लाल एडवोकेट, श्री हरित जैन आदि ने जैन धर्म और शिक्षा पर विचार व्यक्त किए।

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