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वॉइस ऑफ नेचर की ओर से गौरा देवी जैव विविधता तालाब के इर्द-गिर्द किया गया वृक्षरोपण्

५ जून २०२२.  आज सुबह ७:३० बजे, विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में गौरा देवी जैव विविधता तालाब में डॉ0 मधु थपलियाल की अगवाई में वॉइस ऑफ नेचर द्वारा वृक्षारोपण किया गया।  वृक्षारोपण के दौरान तालाब में दालचीनी, हरड, अमलतास जैसे सुंदर वृक्ष लगाए गए। इसके साथ ही डॉक्टर मधु थपलियाल ने बताया कि वे तथा उनके कई साथियों द्वारा लंबे समय से गौरा देवी जैव विविधता तालाब को बचाने की मुहिम जारी है। उन्होंने एम०डी०डी०ए०  की सराहना करते हुए बताया आज से 3-4 साल पहले जनांदोलन के चलते वे प्रकृति की आवाज को लेकर एम०डी०डी०ए० गए थे.  एम०डी०डी०ए० ने जन भावनाओं का आदर करते हुए एक सराहनीय कदम उठाया और अतिक्रमण को रोकने के लिए तालाब के चारों तरफ दीवार बनाई। इस कदम से एक सुंदर तालाब – जो जीवन दायक है व कार्बन का कई बड़ा प्रतिशत अपने में अवशोषित करता है – समाप्त होने से बचाया जा सका.  लेकिन अब आवश्यकता है इस तालाब को सँवारने की.   उन्होंने बताया कि अब भी गौर देवी जैव विविधता तालाब को प्राकृतिक रूप से संजोए रखने संरक्षित करने के लिए, वे तथा कई अन्य पर्यावरण प्रेमी तथा आम आदमी यहां पर वृक्षारोपण करते है।
डा. मधु थपलियाल ने बताया कि आज आवश्यकता सिर्फ यही नहीं है कि वृक्षारोपण विश्व पर्यावरण दिवस या वन संरक्षण दिवस या जल संरक्षण दिवस के दिन ही करें,  बल्कि यह भी जानना आवश्यक है कि हम किस तरह की इकोलॉजिकल कंडीशन में किस प्रजाती के पौध रोपण करें। एक स्थान पर एक ही तरह के पौधों को प्लांटेशन करने से भी वहां के पर्यावरण की शुद्धता नहीं रह जाता तथा वहां के पर्यावरण पर दूरगामी दुष्प्रभाव भी पड सकते हैं।  उन्होंने ने यह भी बताया कि आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वे सिर्फ देहरादून के ऐसे जलाशयों तथा प्राकृतिक श्रोतों में ही वृक्षारोपण नहीं करेंगे बल्कि, पहाड़ों पर जाकर जहां हमारे बांझ के जंगल खत्म हो रहे हैं – जिसके कारण हमारे प्राकृतिक स्रोत खत्म हो रहे हैं – उन ऊंचाइयों पर भी जाकर बांझ और बुरांस का वृक्षारोपण करने जा रहे हैं।
डा. मधु थपलियाल ने बताया कि 1972 में स्वीडन में विश्व पर्यावरण दिवस की पहली मीटिंग हुई थी और तब से ही विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना जा रहा है। नासा ने सन 1880 से तापमान की आंकड़े रखे हैं तथा प्रत्येक दशक में 0.13 डिग्री सैल्सिस तापमान बढता जा रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिग होती जा रही है। वर्तमान में पृथ्वी का औसत तापमान 13.9  – 14.0 डिग्री सेल्सियस रहा है और आने वाले 50 सालों में वैश्विक स्तर पर 3 डिग्री सैल्सिस तापमान ओर बढेगा जो कि भयावह है। आज अगर देखें तो हम इस जद्दोजहद में लगे हैं कि किसी भी तरीके से धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की व्रर्धि ना करे अगर यह भयावह स्थिति आएगी तो आदमी एक अंगारे की तरह भुनता हुआ हमें अपनी आंखों के सामने दिखाई देगा।
वॉइस ऑफ नेचर के सचिव इंजिनियर श्री विनोद प्रकाश रतूड़ी ने बताया कि आज हम भले ही यह देखें कि यह तो एक छोटा सा तालाब है, लेकिन ये छोटे से तालाब ऐसे नहीं थे. आज जनसंख्या के बढ़ने से जमीनों पर अतिक्रमण के कारण तथा कम जागरूकता के कारण हम अपनी धरती का प्राकृतिक स्वरूप खोते जा रहे हैं और आम आदमी उस भयावह स्थिति की कल्पना भी नहीं कर पा रहा है कि हम कितने खतरनाक दौर से गुजर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि उन्हें प्रकृति से अगाह प्रेम है और एक चिंता हमेशा बनी रहती है कि किस तरीके से आम आदमी के जहन में एक संवेदनशीलता अपनी प्रकृति को संजोए रखने के लिए संरक्षित रहने के लिए वह जगा सकें।
युवा पीढी की और से आस्था खंडूरी ने बताया की आज के कुछ युवा पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे है पर आज अधिकतर युवा सोशल मीडिया पर है.  जरूरत है कि आज का युवा इसमें बढ-चढ़ कर हिस्सा ले. आज गांव-गांव और केदारनाथ-बद्रीनाथ जैसी ऊंची चोटियों तक प्लास्टिक पहुंच चुका है। यह भी आवश्यक है कि यह जागरूकता और संवेदनशीलता लोगों में आए क्या हमें क्या हम को यह अधिकार है कि हम इस धरती को खत्म कर दें?  धरती ने हमें जो दिया है हम उसे और भी बेहतर करके आने वाली पीढी को सोंपे.
इस अवसर पर वॉइस ऑफ नेचर की उपाध्यक्ष एवं जौनसारी लेखिका श्रीमती सुनीता चौहान ने कहा कि अगर हम अभी नहीं चेते तो बहुत जल्दी हमें निश्चित रूप से अपने प्राण अपनी आंखों के सामने खुली आंख से जाते हुऐ भी देखने होंगे।
कार्यक्रम में क्षेत्र के पार्षद श्री राकेश पंडित जी उपस्थित रहे और उन्होंने कहा कि नगर निगम के द्वारा गौरा देवी जैव विविधता तालाब को बचाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
वाईस ऑफ नेचर की सदस्य श्रीमती श्रीमती शिवानी नैथानी ने बताया की हमारे क्षेत्र के सभी छोटे बच्चे आने वाले 10 और 20 सालों में बड़े होने वाले हैं। उनको यह समझाना जरूरी हो गया कि किस तरीके से उनको अपनी प्रकृति को संरक्षित रखना है। नहीं तो आने वाले समय में यदि धरती का तापमान बढ़ा तो इंसान लकड़ी और अंगारे की तरह भुन जाएगा।
श्रीमती लीना ने बताया कि गौर देवी बायोडायवर्सिटी पौंड में कई प्रकार के एम्फीबियनस, रैपटाईलस, मछलियां तथा कई प्रकार के पेड़ पौधे हैं जो एक बहुत बड़े क्षेत्र संरक्षित रखने में योगदान देता है व वहां की इकोलॉजी को बनाऐ रखता है।
पौधरोपण के दौरान डिफेंस कॉलोनी के कर्नल एस. एल. पैन्यूली ने पौधरोपण करते हुए बताया कि अगर अब भी नहीं चेते तो फिर जीवन से हाथ धोना निश्चित है।
वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान फ्रैंड्स ऐन्कलैव की लीना, शिवानी, सिद्धार्थ, आस्था, मोहित, देवाशीष समेत कई लोग उपस्थित रहे।  नगर निगम के पर्यावरण प्रहरी जो  – शाह नगर – फ्रेंड्स एन्क्लेव – डिफेंस कालोने में कार्यरत हैं – उन्होंने ने भी इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया.

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