उत्तरकाशी: वरूणावत शिखर क्षेत्र को भी इको-टूरिज्म के दायरे में लाए जाने की तैयारी
पर्यावरण और पर्यटन का संतुलन कायम रखते हुए टिकाऊ पर्यटन विकास की अवधारणा पर केन्द्रित ‘इको-टूरिज्म‘ को बढावा देने के लिए जिले में अनेक परियोजनाओं का खाका तैयार किया जा रहा है। वरूणावत शिखर क्षेत्र को भी इको-टूरिज्म के दायरे में लाए जाने की तैयारी है। जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने इस सिलसिले में एक बैठक लेकर इन परियोजनाओं की डीपीआर को एक सप्ताह में अंतिम रूप देने की हिदायत दी है। जिलाधिकारी ने कहा कि योजना में स्थानीय निवासियों के सुझावों का पूरा ध्यान रखा जाय।
जिले में ‘इको-टूरिज्म‘ योजना की समीक्षा के लिए जिला सभागार में अयोजित बैठक में उत्तरकाशी वन प्रभाग, गंगोत्री नेशनल पार्क और पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओं और कार्यों का ब्यौरा रखा। बैठक में बताया गया कि नेलांग, सातताल, दयारा, डोडीताल, नचिकेताताल, हरकीदून-केदाकांठा आदि क्षेत्रों को ईको टूरिज्म योजना के दयरे में लाकर इन क्षेत्रों में प्रकृति और संस्कृति के संरक्षित रखने के उपायों को सुनिश्चित करते हुए पर्यटन विकास की परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने प्रस्तावित योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि विभिन्न स्तरों पर हुए विचार-विमर्श के साथ ही स्थानीय निवासियों की आकांक्षाओं और सुझावों का ध्यान रखते हुए सभी योजनाओं की फाइनल डीपीआर एक सप्ताह में जिला इको-पर्यटन समिति के विचार हेतु प्रस्तुत कर दी जाय। परियोजनाओं के लिए वन विभाग के वित्तीय संसाधनों का आकलन भी कर लिया जाय, ताकि योजनाओं के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त आर्थिक संसाधनो की अन्यत्र से व्यवस्था की जा सके। उन्होंने सभी प्रस्तावों पर वन विभाग व पर्यटन विभाग द्वारा परस्पर समन्वय स्थापित कर कार्रवाई करने की अपेक्षा करते हुए कहा कि परियोजना से जुड़े क्षेत्रों में स्थानीय इको-पर्यटन समितियों का गठन एवं पंजीकरण शीघ्र करा लिया जाय।
जिलाधिकारी ने उत्तरकाशी नगर के शीर्ष पर स्थित वरूणावत टॉप क्षेत्र को भी इको-टूरिज्म योजना से आच्छादित करने के निर्देश देते हुए कहा कि जिला मुख्यालय के निकटवर्ती यह क्षेत्र प्रमुख पर्यटन केन्द्र बनने की पूरी संभावना रखता है। तय किया गया कि तात्कालिक तौर पर इस क्षेत्र में प्रवेश द्वार, पार्किग व कैंटीन की व्यवस्था कर पर्यटन सुविधाओं को विकसित किया जाय। इस क्षेत्र में इको-टूरिज्म विकास की योजना तैयार करने के लिए जल्दी ही पर्यटन एवं वन विभाग के अधिकारी संयुक्त निरीक्षण करेंगे।
बैठक में जिलाधिकारी ने उद्यान विभाग को यात्रा मार्ग पर स्थित सेब बागानों को हार्टी-टूरिज्म के लिए खोले जाने के संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि मॉडल के तौर पर सुक्खी से लेकर धराली तक के कुछ सेब उद्यानों में पर्यटकों व तीर्थयात्रियों को तय शुल्क पर प्रवेश की व्यवस्था की जाय। इन मॉडल उद्यानों में पर्यटकों को घूमने-फिरने की सुविधा के साथ ही अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जांय।
इस मौके पर ट्रैक मार्गों के संचालन एवं ट्रैकिंग की अनुमति के लिए संचालित सिंगल विंडो सिस्टम की समीक्षा कर इस व्यवस्था का अपग्रेड व एकीकृत करने का निश्चय किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि इस ऑनलाईन प्रणाली में वन विभाग के अधिकारियों के स्तर से दी जाने वाली अनुमति का प्राविधान करने के साथ ही इनर लाईन परमिट जारी करने की व्यवस्था को भी शामिल किया जाय।
बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी डीपी बलूनी, गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक रंगनाथ पाण्डेय, जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल सिंह चौहान, मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. डीके तिवारी, संग्राली के प्रधान संदीप सेमवाल आदि ने भाग लिया।