देहरादून। समय-समय पर विधायक निधि को समाप्त करने की मांग उठती रही है। इसके पीछे वजह सह बताई जा रही है कि विधायक निधि का पैसा ज्यादातर कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए ही बांटा जाता है। कई कार्यकर्ता तो विधायकों के पीछे इसीलिए लगे रहते हैं कि विधायक उन्हें अपनी निधि से इेका दे ही देंगे। इस राशि से विकास केवल कागजों में ही होता है। ऐसे में ज्यादातर विधायक इस राशि को बचाए रखते हैं और चुनावी वर्ष में खर्च करते हैं। उत्तराखंड की मौजूदा विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधायक निधि का पैसा खर्च करने में सबसे फिसड्डी हैं। धामी पनी विधायक निधि में से मात्र 60% ही खर्च कर पाए हैं। विधायकों का कहना है कि कोरोनाकाल में विधायक निधि सेयथोचित काम नहीं कराए जा सके। लेकिन अब तेजीसेविधायक निधि से काम कराए जाएंगे।
अगर उत्तराखंड के विधायकों और साथ ही मुख्यमंत्री की विधायक निधि खर्च करने की रफ्तार इतनी धीमी रही तो कार्यकाल समाप्त हो जाएगा,लेकिन विधायक निधि खर्च नहीं कर पाएंगे। ऐसे में खुद प्रदेश के मुखिया प्रदेश के विकास में पलीता लगा रहे हैं।
मंत्रियों में मुख्यमंत्री विधायक निधि खर्च करने में केवल 60% तक ही खर्च करपाए हैं। तबकि केदारनाथ के विधायक मनोज रावत तो अभी मात्र 50% ही खर्चकर पाए हैं। धन सिंह रावत भी साठ फीसदी का आंकड़ा नहीं छू पाए। पीछे नहीं रहे । नैनीताल के संजीव आर्य 90% खर्च करने वाले अभी तक उत्तराखंड के एकमात्र विधायक संजीव आर्य हैं।
उत्तराखंड के 71 विधायक को 17.75 करोड़ रूपये प्रति विधायक की दर से 1256.50 करोड़ रूपये की विधायक निधि सितम्बर 2021 तक उपलब्ध करायी गयी। इसमें से अक्टूबर 2021 केेप्रारम्भ में रू. 293.10 करोड़ की विधायक निधि खर्च होनी शेष है। सूबे के 12 विधायको की 70 प्रतिशत से कम विधायक निधि खर्च हुई है, जबकि 1 विधायक की केवल 50 प्रतिशत विधायक निधि ही खर्च हुई है। 90 प्रतिशत विधायक निधि खर्च होने वाले विधायकों में केवल एक विधायक ही है।
60 प्रतिशत विधायक निधि खर्च वाले विधायक धनसिंह है। 61 से 65 प्रतिशत खर्च वालेे विधायकों में महेश नेगी, सुरेन्द्र सिंह नेगी, सहदेव पुण्डीर है। 66 से 70 प्रतिशत वालों में प्रीतम सिंह, मगन लाल शाह, मदन सिंह कौशिक, मुन्ना सिंह चैहान, करन मेहरा, पुष्कर सिंह धामी, विनोद चमोली, महेन्द्र भट्ट शामिल हैै।
71 से 75 प्रतिशत खर्च वाले विधायको में प्रेम चन्द्र, यशपाल आर्य, सुरेन्द्र सिंह जीना, राजकुमार ठुकराल, केदार सिंह रावत, खजान दास, हरवंश कपूर, गोविन्द सिंह कुंजवाल, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, सतपाल महाराज, राजकुमार, विजय सिंह पंवार, सुबोध उनियाल शामिल है।
76 से 80 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में राजेश शुक्ला, हरीश सिंह धामी, हरभजन सिंह चीमा, हरक सिंह, उमेश शर्मा, दीवान सिंह बिष्ट, पूरन सिंह फत्र्याल, भारत सिंह चैैधरी, इन्द्रा ह्रदयेश, अरविन्द पाण्डे, आदेश सिंह चैैहान (जसपुर), रेखा आर्य, देशराज कर्णवाल, बलवन्त सिंह, रितु खण्डूरी, सुरेश राठौैर, चन्द्र पंत, ममता राकेश, शक्तिलाल शाह, रघुराम , कैलाश गहतोड़ी, चन्दन राम दास शामिल है।
81 से 85 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में दिलीप सिंह रावत, गणेेश जोशी, यतीश्वरानन्द, बिशन सिंह चुफाल, प्रेम सिंह राणा, मुकेश कोली, जीआईजी मैनन, मीना गंगोला, काजी निजामुद्दीन, प्रीतम सिंह पंवार, संजय गुप्ता, विनोद भण्डारी, सौरभ बहुगुणा, प्रदीप बत्रा शामिल है।
86 से 90 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में कंवर सिंह चैम्पियन, राम सिंह केड़ा, फुरकान अहमद, आदेश चैहान (रानीपुर), बंशीधर भगत, धन सिंह नेगी, नवीन चन्द्र दुम्का, गोपाल सिंह रावत, तथा संजीव आर्य शाामिल है। कुछ विधायकों का कहना हे कि कोरोना के कारण भी विधायकनिधि खर्च करने में दिक्कतें आई। अब इस राशि सेतेजी से विकास कार्य कराए जाएंगे।