देहरादून। बासमती और लीची के लिये मशहूर देहरादून का ग्रामीण क्षेत्र भी अब इसकी खुशबू से दूर होता चला जा रहा है। देहरादून शहर से सटे गांव का नगर निगम में शामिल होने के बाद यहां की जमीनों पर माफियाओं की नजर है, जगह-जगह कृषी भूमी को बदले बिना बड़ी संख्य में प्लॉटिंग की जा रही है और उन पर बिना नक्षा पास कराये मकान बन रहे हैं। इसमें भू माफियाओं के साथ देहरा-मसूरी विकास प्रधिकरण के अधिकरियों का गठजोड़ काम कर रहा है। इधर धामी सरकार का पीला पंजा कहीं नजर नहीं आ रहा है, एसे में जब कभी यह पीला पंजा बिल से बाहर निकलेगा तब वह आम आदमी के सपनों को ही चकनाचूर करेगा जबकि भू माफिया और अधिकारी तब भी मौज में रहेंगे।
इन दिनों देहरादून में भू कानून लाने के लिये वकालात कर रही जनशक्तियां भी खामौश हैं भू कानून भी फाइलों में केद है। नेता अपने अभिनन्दनों में व्यस्त हैं जबकि पशचिमी उत्तरप्रदेश से लेकर बिहर तक के भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टी नगर से सटे गांव की कृषि भूमी पर लगी है। नकरोंदा से लेकर दुध्ली तक, नवादा से लेकर सेलाकुई तक यानी चाराें तरफ कृषि भूमी पर इन दिनों तेजी से प्लॅाटिंग और छोटे-छोटे मकार बन रहें हैं। रजिस्ट्रार आंफिस में रोजान सेकड़ों रजिस्ट्रियां हो रही हैं इससे साफ जहिर है कि सरकार की निग्हा में सबकुछ है। नगर निगम के बाहरी क्षेत्रों में तेजी से छोटे-छोटे मकान बन रहें हैं लेकिन एम डी डी ए के अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। बिना नक्षा पास कराये बिजली-पानी के कनेक्शन भी मिल रहें हैं, बावजूद इसके इस गैरकानूनी प्लाॅटिंग और मकानों की खरीद-फरोख्त को लेकिर प्रशासन चौकन्ना नहीं है।
यूपी में जहां योगी सरकार का पीला पंजा जगह-जगह अवेध निरमाणों को गिराने में जुटा है वहीं उत्तराखंड की धामी सरकार का पीला पंजा गेराज में खड़ा है। जब कभी याद आने पर इस पीले पंजे बाहर निकाला जायेगा तो वह गरीबों को उजाड़ने का ही काम करेगा एसे में जरूरत तो इस बात की है कि अवेध निरमाणों पर पहले ही रोक लगे ताकी गरीबों की कमाई को रोंदा न जा सके। सामाजिक कार्यकर्ता आर एल नौटियाल एवं संदीप रावत का कहना है कि भू माफिया फर्जी तरीके से नक्षा पास भी करा रहें हैं, जबकी एम डी डी ए के रिकॉर्ड में यह नक्षे है ही नहीं, एसे में पूरे निगम क्षेत्र में बहारी प्रदेशों से आये भू माफिया अधिकारियों की जेबें भरकर अनाप-शनाप तरीके से कृषि भूमी पर प्लाॅटिंग कर उसे बेच रहे हैं। बेचने के बाद उनकी कोई जिम्मेदारी भी नहीं बनती। बिजली विभाग और जल संस्थान भी एसे अवेध निर्माणों पर बिना जांच कराये कनेक्शन दे रहे हैं जाहिर है कि एसा जेब गरम के बिना नहीं हो रहा है। महिला सामाजिक कार्यकर्ता रेखा रावत, उर्वशी सजवाण, और सुनिता धसमाना आदि का कहना है कि बाद में अवेध निर्माण ढाहने से अच्छा है कि पहले से ही इ्स पर नजर रखी जाये ताकी आम लोगों को नुकसान न हो, वह यह भी कहती हैं कि क्या धामी का पीला पंजा गैराज से बाहर निकलेगा।