कोविड महामारी के बावजूद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश ने बीते लगभग डेढ़ साल के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई नए आयाम स्थापित किए हैं। इसके अलावा एम्स ऋषिकेश देश का पहला ऐसा स्वास्थ्य संस्थान है, जहां चिकित्सा शिक्षा में पुनर्जागरण शुरू किया गया है। यही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में यह संस्थान तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर विशेष फोकस कर रहा है। ताकि संस्थान एडवांस स्किल्स वाले विश्वस्तरीय चिकित्सकों को तैयार कर उन्हें स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उपलब्ध करा सके।
उत्तर भारत में वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे एम्स ऋषिकेश ने कोविडकाल के दौरान कई नई सुविधाओं की शुरुआत की है। जबकि कोविड की दूसरी लहर के दौरान चुनौतियों से निपटते हुए मरीजों को उपलब्ध कराई गई स्वास्थ्य सेवाएं भी किसी उपलब्धि से कम नहीं हैं। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने संस्थान के खाते में जुड़ी इन उपलब्धियों के लिए टीम भावना को सर्वोपरि बताया। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश का तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर ही प्राथमिक फोकस है। इसके लिए उन्होंने संस्थान के चिकित्सकों से आह्वान किया कि लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें एडवांस स्किल्स के साथ प्राइमरी और सेकेण्डरी केयर में पारंगत होना पड़ेगा। इसके विकास के लिए उन्होंने विचारों की स्वतंत्रता विकसित करने की आवश्यकता बताई। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि जब हम स्वतंत्रता की बात करते हैं तो हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी स्वतंत्रता लानी होगी और यह तभी संभव हो सकेगा जब देश के प्रत्येक जिला चिकित्सालय में पीजीआई चंडीगढ़ जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित होंगी। निदेशक ने एम्स के कल्चर पर जोर देते हुए कहा कि समय से पहले आना और नियत समय के बाद ऑफिस से घर जाने की प्रवृति प्रत्येक स्टाफ को अपनानी चाहिए। इस कार्य पद्धति को अपनाने से सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विकसित देशों से हमें उनकी कार्य पद्धति को समझने और जानने की आवश्यकता है।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने इस दौरान संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोरोना महामारी ने हमें नई चुनौतियों से लड़ना सिखाया है। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के भयावह खतरे के बावजूद एम्स संस्थान ने अभी तक 3 लाख 51 हजार से अधिक कोविड नमूनों का परीक्षण किया है जो कि स्वयं में एक रिकॉर्ड है। बताया कि अब तक लागभग 16 हजार से अधिक कोविड संदिग्ध और कोविड पॉजिटिव मरीज इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती के उपरांत चिकित्सा लाभ ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान संस्थान में उत्तराखंड का पहला ज्येलो फीवर टीकाकरण केंद्रज् भी स्थापित किया गया है। संस्थान में अतिरिक्त अत्याधुनिक बाईपलेन कैथ लैब, एडवांस यूरोलॉजी सेंटर, ऑक्सीन उत्पादन प्लांट और लॉ इनर्जी लाइनर एक्सीलेरेटर मशीन की स्थापना किए जाने आदि को उन्होंने इस वर्ष की विशेष उपलब्धि बताया। उन्होंने दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एम्स द्वारा संचालित आउटरीच सेल की स्वास्थ्य सुविधाओं को जनसामान्य के लिए विशेष लाभकारी बताया। बताया कि इन सेवाओं के फलस्वरूप 1 लाख से अधिक लोगों ने आउटरीच सेल द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित शिविरों के माध्यम से ओपीडी सुविधा का लाभ उठाया है। निदेशक एम्स ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की परिकल्पना साकार होने के कारण ही एम्स ऋषिकेश राज्य में वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। स्थापना से आज तक 30 लाख से अधिक ओपीडी, 1 लाख 70 हजार आईपीडी मरीज, 1 लाख 30 हजार ट्रॉमा मामले और 70 हजार से अधिक ऑपरेशन कर संस्थान ने देश के अग्रणीय सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में अपनी जगह बनाई है। प्रोफेसर रवि कांत जी ने बताया कि टीम भावना का ही परिणाम है कि एम्स ऋषिकेश 960 बेड के अस्पताल के अलावा, आईडीपीएल स्थित 500 बेड के डीआरडीओ अस्पताल और नटराज चौक, ऋषिकेश स्थित जीएमवीएन भारत भूमि गेस्ट हाउस के113 बेड वाले कोविड केयर सेंटर का कुशल संचालन कर मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है। इसके अलावा उन्होंने कोविड टीकाकरण, टेलिमेडिसिन सेवा, विभिन्न विभागों द्वारा किए गए ऑपरेशन, आयुष्मान भारत योजना और ब्लड बैंक आदि विभागों की उपलब्धियां भी गिनाईं।