भाजपा में चल रही है कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की कवायद
देहरादून। मदन कौशिक के कंधों का भार कम करने के लिए भाजपा में कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की कवायद चल रही है। पार्टी इस पद पर गढ़वाल क्षेत्र के किसी ब्राह्मण नेता बैठाना चाहती है। अब तक पार्टी बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट और धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली के साथ ही पूर्व में पार्टी एवं सरकार के कई दायित्वों को संभालने वाले ज्योति प्रसाद गैरोला और बृजभूषण गैरोला के नामों की चर्चा है। पार्टी के भीतर से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक कार्यकारी अध्यक्ष का ताज ज्योति गैरोला या बृजभूषण गैरोला में से किसी एक के सिर सज सकता है|
कांग्रेस की ओर से चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के बाद भाजपा भी उसी रास्ते चलने की तैयारी कर रही है। हालांकि वह केवल एक ही कार्यकारी अध्यक्ष बनाना चाहती है। पार्टी की ओर से पुष्क रसिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद पार्टी क्षेत्र औरा जातिगत समीकरण को साधने के लिए गढ़वाल से किसी ब्राह्मण नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना चाहती है।
ब्राह्मण और गढ़वाल के समीकरण को देखते हुए बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट और धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली क नाम चर्चा में आए हैं। हालांकि दोनों को आने वाले विधानसभा का चुनाव भी लड़ना है। ऐसे में पार्टी में यह मंथन चल रहा है कि इन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो उन पर अन्य क्षेत्र में चुनाव प्रचार का भार भी पड़ेगा। ऐसे में उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर निकलना पडेगा। वर्तमान में जिस तरह पार्टी के सामने चुनौतियां हैं उससे चुनाव लड़ने वाले नेताओं के सामने दिक्कत होगी। ऐसे में पार्टी भी उन पर दोहरा बोझ नहीं डालना चाहती।
अब ऐसे में पार्टी संगठन में गहरी पैठ रखने वाले एवं सरकार में कईबार कैबिनेट स्तर के दायित्वधारी ज्योति गैरोला के नाम पर भी मंथन चल रहा है। गैरोला पूर्व में प्रदेश महामंत्री संगठन का दायित्व रह चुका है। वह पार्टी के बड़े रणनीतिकारों में माने जाते हैं। गैरोला के पिता भी आएसएस के बड़े पदधिकारी रहे हैं। पार्टी के बड़े नेता होने के बाद भी उन्हें अब तक कभी भी विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया। राजनीति की काली कोठरी में रहने के बावजूद वह कभी विवाद में नहीं रहे। हालांकि जब वह प्रदेश महामंत्री संगठन थे,तब प्रदेश कार्यालय में पचास लाख रुपये की चोरी हो गई थी। जिसके बारे में कभी खुलासा नहीं हो पाया। बस यह प्रकरण उनको आगे बढ़ने के रास्ते में गाहे-बगाहे आड़े आता रहा है। हालांकि वह मृद़भाषी हैं। कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पकड़ भी अव्छी है। ऐसे में माना जा रहा है कि हाईकमान उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष्रा बनाकर उपकृत कर सकता है।
वहीं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी बृजभूषण गैरोला भी इस पद की दौड़ में है। वह कार्यकर्ताओं के बीचयुवा तुर्क नेता के रूप में जाने जाते हैं। यूपी के दौरान वह उत्तराखंड विकास परिषद के सदस्य रहे हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वह मुख्यमंत्री के पेयतल सलाहकार एवं उत्तराखंड सहकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। पार्टी संगठन में भी कई अहम पदों पर रहे। पार्टी प्रवक्ताके रूप में भी उन्होंने परिचर्चाओं में अपने ज्ञान का लोहा मनवाया है। मूलरूप से टिहरी जिले के निवासी होने के साथ ही उत्तरकाशी सहित गढ़वाल के सभी जिलों में उनकी गहरी पकड़ है। करीब तीन दशकों से भाजपा से जुड़े होने के बावजूद पार्टी ने उन्हें कभी विधानसभा का टिकट नहीं दिया। अब अगर उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष्र बनाया जाता है तो संगठन को नई ऊर्जा मिल सकती है। गैरोला स्वतंत्रता सेनानी डाक्टर कुशलानंद के परिवार से हैं,जबकि पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली के भांजे हैं।
बहरहाल गढ़वाल के किसी ब्राह्मण नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के लिए जिस तरह की कवायद हो रही है, उसमें महेंद्र भट्ट,विनोद चमोली,ज्योति गैरोला और बृजभूषण गैरोला के नामों की ही चर्चा है। राजनीतिक लिहाज से ज्योति गैरोला और बृजभूषण गैरोला का पक्ष मजबूत जानपड़ता है। ऐसे में यह तय है कि कार्यकारी अध्यक्ष ताज किसी एक गैरोला के सिर पर ही सजेगा।