देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के नवादा क्षेत्र में केवल आठ महीने की मासूम है अक्षिता। इस मासूम को जीने के लिए चाहिए सोलह करोड़ का इंजेक्शन। इतना पैसा खर्च कर नामुममकिन सा है। ऐसे में कुछ सामाजिक संगठनों ने अक्षिता के इलाज के लिए लोगों से आगे आकर मदद की गुहार लगाई है। मासूम अक्षिता दुर्लभ बीमारी जैनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एटोरफी से पीडि़त है।
जनकारी मिलने पर हम नवादा पहुंचे। घर की सीढ़यां चढ़कर जब ऊपर की मंजिल पर कदम रखा तो वहां एक मां अपनी मासूम बच्ची के साथ बैठी थी। अक्षिता के दादा जी विशन सिंह राणा ने हमें बैठक में बैठाया। बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो बुलाने पर मां सरिता बेटी अक्षिता को लेकर वहां आई। मात्र आठ महीने की मासूम अक्षिता की नाक में नली लगी थी। वह हम सबको टुकुर-टुकुर कर देख रही थी। पूछने पर मां सरिता ने बताया कि नली के माध्यम से ही उसे दूध पिलाया जाता है। कहा कि प्रसव सामान्य रूप से हुआ। लेकिन जब वह दूध नहीं पी पा रही थी तो तीन-चार महीने बाद उसे इंद्रेशअस्पताल में डाक्टर को दिखाया।
भारत में इसका इलाज नहीं
इंद्रेश अस्पताल में कुछ टेस्ट कराए गए तो पता चला कि वह दुर्लभ बीमारी जैनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एटोरफी से ग्रसित है। फिलहाल भारत में इसका इलाज नहीं है। इसके इलाज के लिए दुनिया में भी अभी शोध चल रहे हैं। अब तक के शोध में पाया गया है कि zolgensma इंजेक्शन ही इसके इलाज में कारगर हो सकता है। यह इंजेक्शन भी विदेश से मंगाना पड़ेगा। सरकार की ओर से इसको मंगाने पर छूट देने के बावजूद इसकी कीमत सोलह करोड़ है।
घर चलाना मुश्किल तो कैसे कराएं इलाज
अक्षिता के ददा जी बताते हैं कि वह सचिवालय में नौकरी करते थे। अब पेंशन से घर चल रहा है। अक्षिता के पापा भूपेंद्र पहले दिल्ली में किसी होटल में काम करता था, लेकिन कोरोनाकाल के बाद करीब दो वर्षों सेवह भी बेरोजगार है। ऐसे में जब घर चलाना मुश्किल हो रहा है तो इंजेक्शन के लिए सोलह करोड़ कहां से आएंगे। कहते हैं सारे रिश्तेदार भी मदद करें तो इतना पैसा इकठ्ठा करना भी नामुमकिन है। ऐसे में उनकी निगाह स्वयंसेवी संगठनों, कारपोरेट घरानों, आम लोगों एवं सरकार पर टिकी है।
बेटी बचाओ सरकार
सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा पुंडीर का कहना है कि सरकार कहती है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ। ऐसे में इस मासूम बेटी को बचाने के लिए सरकार को सोलह करोड़ के इस इंजेक्शन को मुहैया कराने के लिए आगे आना चाहिए। सरकार इस मासूम बेटी को बचाने के लिए सोलह करोड़ उपलब्ध करा दे तो बेटी बचाओ का नारा साकार हो सकेगा।
मीडिया और स्वयंसेवी संगठनों ने की अपील
प्रदेश के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहाकार रहे रमेश भट्ट ने भी मासूम अक्षिता के घर पहुंच कर परिजनों से बात की। साथ ही आमजनों से मासूम के इलाज के लिए आगे आने का आह्वान भी किया। अक्षिता के परिजनों ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश भट्ट का एक वीडियो हमें शेयर किया। यह वीडियो आपके अवलोकनार्थ हम भी प्रस्तुत कर रहे हैं। (देखें वीडियो)
एक संगठन ने अक्षिता को मदद करने के लिए supportakshita5@yesbankltd के माध्यम से मासूम को बचाने के लिए खाता संख्या 700701717154633 के माध्यम से आर्थिक सहयोग की अपील की है।