बढ़ती हुई भीड़ की हिंसा और प्रशासन की निष्क्रियता पर आंदोलन का एलान

देहरादून : आज उत्तराँचल प्रेस क्लब देहरादून में उत्तरकाशी के पुरोला क्षेत्र में बन रही गंभीर स्थिति एवं सरकार की निष्क्रियता पर प्रदेश के विभिन्न जन संगठनों एवं विपक्षी दलों ने बैठक कर चिंता एवं आक्रोश जताया।
यौन शोषण के बहाने जिस ढंग से नफरती एवं हिंसक प्रचार को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है, यह कानून एवं संविधान के खिलाफ है। किसी भी अपराध को ले कर सख्त क़ानूनी कार्रवाई हो, चाहे अपराधी का धर्म या जात कुछ भी हो, यह कानून के राज का बुनियादी सिद्धांत है। लेकिन कार्रवाई करने के बजाय और महिला सुरक्षा पर कदम उठाने के बजाय अगर पुरोला या किसी भी क्षेत्र में ऐसे माहौल बनाया जा रहा है जिसमें एक समुदाय विशेष असुरक्षित महसूस कर अपने व्यवसाय को नहीं कर पा रहे हैं या अपना स्थान छोड़ कर भाग रहे है, यह बेहद निंदनीय बात है।
जब सांप्रदायिक एवं आपराधिक प्रचार किया जा रहा है उसके खिलाफ क़ानूनी कदम उठाना सरकार की कर्त्तव्य है, लेकिन बार बार उच्चतम न्यायालय से सख्त निर्देश होने के बावजूद सरकार की और से कोई ऐसी कार्रवाई नहीं दिख रही है। इसके अतिरिक्त यह स्थिति मात्र पुरोला में नहीं बनी है। पिछले दो महीने के अंदर ही देहरादून, त्यूणी, चकराता, इमलीखेड़ा, और अन्य जगहों में ऐसी घटनाएं दिखाई दी हैं। इसके साथ साथ लगातार सत्ताधारी दल के श्रेष्ट नेताओं से भी सांप्रदायिक बयान दिखाए दे रहे हैं।
सरकार हर नागरिक की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है। इसलिए बैठक में इन मुद्दों पर और सरकार की अन्य जन विरोधी नीतियों पर आने वाले दिनों में प्रदेश भर में विभिन्न तरीकों द्वारा आवाज़ उठाने का निर्णय लिया गया है।
बैठक में उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के समर भंडारी; भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी; सद्भावना समिति उत्तराखंड के भुवन पाठक; सर्वोदय मंडल के विजय शंकर शुक्ला, यशवीर आर्य एवं हरबीर सिंह खुश्वाहा; उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के CP शर्मा; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह एवं मुकेश उनियाल; स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट एवं स्वाति नेगी; जनता दल (सेक्युलर) के राज्य अध्यक्ष हरजिंदर सिंह; सामाजिक कार्यकर्ता राकेश अग्रवाल; राज्य आंदोलनकारी जब्बर सिंह पावेल; और अन्य लोग शामिल रहे।