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अरुण योगीराज ने फिर भी पूरी की शंकराचार्य की प्रतिमा

प्रतिमा बनाने के लिए अरुण योगीराज ने नौ महीने रोज 14-15 घंटे की मेहनत की

शांति प्रसाद भट्ट शास्त्री मानस प्रेमी
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में निर्मित जगद्गुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया । उन्होंने यह काम तब भी जारी रखा जब दुर्घटना में उनके पिता चल बसे थे। बारह फीट की इस पत्थर की प्रतिमा को उन्होंने मैसूर के सरस्वतीपुरम में गढ़ा। अरुण योगीराज का कहना है कि ये उनके लिए ख़ुशी का क्षण है।

कभी उन्होंने सोचा भी नहीं है कि वो प्रतिमाएं बनाने के लिए अपने हाथों में औजार उठाएंगे, लेकिन अब उनकी बनाई प्रतिमाएं हिन्दू धर्म और भारत का मस्तक गर्व से ऊंचा करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्य के लिए उन्हें चुना था अरुण योगीराज का कहना है कि ये एक बड़ी जिम्मेदारी थी । ऐसा इसीलिए क्योंकि पीएम मोदी की निगरानी में ये सब हो रहा था और वो हर गतिविधि के अपडेट्स लेते थे । पहले उन्होंने दो फीट का मॉडल तैयार किया था।

उन्होंने दक्षिण भारत में शंकराचार्य की अन्य प्रतिमाओं को देखा और उनका अध्ययन किया। उन्होंने शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों और अन्य धार्मिक स्थलों के विद्वानों से बात की। उन्हें रिसर्च के हिसाब से बदलाव करने की पूरी छूट थी। ये प्रतिमा ब्लैक क्लोराइट शीस्ट की कृष्ण शिला से बनी है। जिसका उपयोग हजारों वर्षों से होता रहा है। कर्नाटक के एचडी कोटे से इसे लाया गया है। ये प्रकृति की भीषण मार झेलने में भी सक्षम है। 37 वर्षीय अरुण योगीराज ने 9 महीने रोज 14-15 घंटे की मेहनत की जो अब सफल हुई है।

अरुण योगीराज को इसे तैयार करने में महीनों लगे।उनके पिता और दादा भी मूर्तिकार रहे है। मूर्तिकारों की पांचवीं पीढ़ी में जन्मे अरुण योगीराज के पूर्वजों को मैसूर राजपरिवार का संरक्षण प्राप्त था । उनके पिता योगीराज शिल्पी अपने पिता बी बसवन्ना शिल्पी की आठ संतानों में से एक थे। अरुण उनके 17 पोते-पोतियों में से एक हैं। अरुण के पिता गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए कार्य कर चुके हैं।

कृष्णा राजा सागर बांध पर कावेरी की प्रतिमा उनके दादा ने ही बनाई थी। बसवन्ना शिल्पी श्री सिद्धलिंगा स्वामी के छात्रों में से एक थे सिद्धलिंगा स्वामी ने ही बेंगलुरु के विधानसभा के गुम्बदों को डिजाइन किया है। वे मैसूर राजपरिवार के प्रमुख शिल्पी थे। बसवन्ना ने मात्र 10 वर्ष की आयु में 1931 में उनके गुरुकुल में शिक्षा आरंभ की और 25 वर्षों तक वहां कड़ा प्रशिक्षण लिया 1953 में वो मठ से बाहर निकले और स्वतंत्र कार्य शुरू किया । प्रतिमा बनाने के दौरान अरुण योगीराज के पिता कीएकहादसे में मौत हो गई थी। बावजूद इसके आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनाने के लिए उनके हाथ नहीं रुके। अरुण के पिता की हाल ही में एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। लेकिन उससे पहले उन्होंने शंकराचार्य की प्रतिमा को पूरे होते देखा था और आंखों में आंसू भर कर बेटे को आशीर्वाद दिया था अरुण योगीराज ने अब तक इन कार्यों को अपने हाथों में लिया और पूरा किया है।

अरुण योगीराज को अब तक मिले कई अवार्ड

– 2014 में केंद्र सरकार द्वारा युंग टैलेंट अवॉर्ड
– मैसूर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी और कर्नाटक सरकार द्वारा राज्योत्सव अवॉर्ड
– शिल्पकार संघ द्वारा शिल्प कौस्तुभ अवॉर्ड (पहली बार किसी युवा मूर्तिकार को ये सम्मान मिला)
– मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने इन्हें सम्मानित किया
– संयुक्त राष्ट्र के महासचिव कोफ़ी अन्नान ने न उनके काम को प्रशंसा की
– मैसूर राजपरिवार द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया
– मैसूर डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स अकादमी ने उन्हें सम्मानित किया
– अमर शिल्पी जकनकारी ट्रस्ट द्वारा सम्मान
– मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी उन्हें सम्मानित किया

मूर्तिकार बनना नहीं था सपना

उनका सपना अपने पूर्वजों की तरह मूर्तिकार बनना नहीं था और 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से डिग्री लेने के बाद वो एक प्राइवेट कंपनी के लिए कार्य कर रहे थे लेकिन उनके दादा ने बचपन में ही भविष्यवाणी की थी कि अरुण बड़े होकर हाथों में औजार उठाएँगे और कलाकारों के इस परिवार का नाम और ऊंचा करेंगे। 37 वर्षों बाद ये सच हो गई है।

अब तक बनाई ये प्रतिमाएं

– मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की आदमकद प्रतिमा
– एक ही चट्टान से काट कर बनाई गई बृहत नंदी की छह फीट की प्रतिमा
– स्वामीजी शिवकुमार की पांच फ़ीट की प्रतिमा
– मां बनष्करी की छह फ़ीट ऊँची प्रतिमा
– कई मंडपों और पत्थर के स्तंभों का निर्माण
– मैसूर में बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की लाइफ साइज प्रतिमा
– महाराजा जयचमराजेंद्र वुडेयार की 14.5 फ़ीट की प्रतिमा
– मैसूर विश्वविद्यालय में सोपस्टोन से बनी एक कलाकृति
– मैसूर में ही भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की प्रतिमा
– केआर नगर में योगनरसिंह स्वामी की 7 फीट लम्बी प्रतिमा
– आंध्र प्रदेश में माहेश्वरी माता की इतनी ही ऊंची प्रतिमा
– महान इंजिनियर विश्वेश्वरैया और डॉक्टर आंबेडकर की कई प्रतिमाएं
– सोपस्टोन से महाविष्णु की सात फीट ऊंची प्रतिमा
– भगवान बुद्ध की प्रतिमा कई अलग-अलग डिजाइनों में
– पंचमुखी गणपति की प्रतिमा
– पांच फीट ऊची स्वामी शिवबाला योगी की प्रतिमा
– सोपस्टोन से भगवान शिव की 6 फ़ीट ऊंची प्रतिमा
– मैसूर में 14.5 फ़ीट की महाराजा जयचमराजेंद्र वोडेयार की प्रतिमा
– रामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा
– भगवान शिव की सवारी नंदी, हनुमान, भगवान वेंकटेश्वर और महान इंजीनियर विश्वेश्वरैया की प्रतिमा
– 5.5 फ़ीट की गरुड़ की प्रतिमा

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