जीतू बगडवाल की लोक गाथा पर आधारित लोक नृत्य, छात्र छात्राओं द्वारा दमदार प्रस्तुति

उत्तरकाशी : राजकीय स्ना० महा० वि० उत्तरकाशी में चल रहे दो दिवसी महा० वि० वार्षिकोत्सव में विज्ञानं संकाय के छात्र छात्राओं द्वारा हाल ही पाण्डवास की रिलीज़ हुई धुयाल में उत्तराखंड की श्रद्धा पाण्डेय द्वारा गाया गया गीत-जो कि जीतू बगडवाल के जीवन पर आदारित है – को विज्ञानं संकाय के छात्र छात्राओं द्वारा को एक लोक नृत्य के रूप में बेहतरीन प्रस्तुति दी गयी. जहाँ एक तरफ श्रद्धा पाण्डेय के इस गीत को पूरे विश्व में बहुत पसंद किया जा रहा है वहीँ उत्तरकाशी में जन्मी श्रद्धा पाण्डेय के इस गीत को कार्यक्रम में बहुत पसंद किया गया।
जीतू बगड्वाल (अनुमानित जीवन कालः नौवीं सदी का उत्तरार्द्ध): उच्ची बगुड़ी (छाम से गंगा के उस पार), टिहरी गढ़वाल। जीतू के जीवनकाल और उससे जुड़ी अन्य घटनाओं के सम्बन्ध में कई दन्त कथाएं प्रचलित हैं। यह निर्विवाद सत्य है कि वह अपने समय का अकेला वीर पुरुष, सुन्दर, प्रकृति प्रेमी, गीतों का रसिया और बांसुरी वादक था। जीतू बगड्वाल के पिता का नाम गरीबा राई और माता का नाम सुमेरु था. जीतू का एक भाई सोबनू और बहन सोबनी थी। बगुड़ीगांव का ऐतिहासिक सेरा जीतू बगड्वाल की जीवन गाथा से जुड़ा है। इसी सेरा में रोपाई करते समय बैलों की जोड़ी के साथ आछरियों (परियों) द्वारा जीतू का अपहरण हो गया था। बैलों की जोड़ी सहित वह जीवित ही धरती में समा गया था (पंवांड़े के अनुसार)। एक दन्त कथा के अनुसार यह घटना छह गते आषाढ़ मास में घटी थी।
बी० एस० सी० तृतीय वर्ष के छात्र अभ्योदय पैनुली को जीतू बगडवाल का जीवंत किरदार निभाते हुए देखा गया तो वहीं स्वाती नौटियाल ने जीतू बगडवाल की माँ का किरदार निभाया. इनके साथ नन्दिनी राणा, अमीषा, पवित्रा, योगिता, इन सभी ने आन्छरियों का रोल बखूबी निभाया. छात्र छात्राओं ने बताया कि हमारे गढ़वाल का वीर भड जो कि अद्वतीय एवं आलोकिक सौन्दर्य एवं शोर्य का धनी था और उत्तराखंड की संस्कृति का गौरान्वित करने वाला किरदार है– उनपर आधारित इस लोक नृत्य को प्रो० मधु थपलियाल के निर्देशन में तैयार किया गया. छात्र छात्राओं ने बताया की प्रो० मधु थपलियाल के आने से न केवल जंतु विज्ञान विभाग में वरन पूरे कॉलेज में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ है तथा छात्र-छात्राओं को अब अकादमिक एक्सपोसुरे के साथ साथ उनका समग्र विकास हो रहा है.