देहरादून। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के लिए आंदोलनकारी आज (मंगलवार 14 सितम्बर) जेल जाएंगे। और तब तक जेल में रहेंगे जब तक गैरसैंण उत्तराखंड की स्थायी राजधानी नहीं बन जाती। पत्रकारों से वार्ता में आंदोलनकारी एवं गैरसैंण स्थायी राजधानी समिति के सदस्य प्रवीण सिंह काशी ने यह बातें कही।
सोमवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रवीण ने कहा कि जिस उददेश्य के लिए उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ था वह आज तक भी पूरा नहीं हो पाया है। यह प्रदेश पहाड़ी राज्य है। इसलिए इसकी राजधानी भी पहाड़ पर ही होनी चाहिए। लेकिन नेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए राजधानी दून में बना डाली। प्रदेश का पूरा विकास देहरादून तक सिमट कर रह गया है। स्थायी राजधानी संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष एवं आंदोलनकारी पूरण सिंह नेगी ने कहा कि पहाड़ में मूल सुविधाएं तक नहीं हैं। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है। स्कूलों में शिक्षक नहीं है। बेरोजगारी चरम पर हैं। सुविधाओं के लिए पहाड़ के लोग पलायन कर रहे हैं। पहाड़ी आर्मी के संयोजक हरीश रावत, पौड़ी संघर्ष समिति के अध्यक्ष नमन चंदोला ने कहा कि प्रदेश में बारी बारी से भाजपा और कांग्रेस की सरकार बनी और बन रही हैं। प्रत्येक चुनाव में पहाड़ के विकास के लिए दोनों दलों के नेता घोषणाएं करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद सब मुददे गायब हो जाते हैं। गैरसैंण राजधानी अभियान के अध्यक्ष मदन भंडारी ने कहा कि जब तक गैरसैंण स्थायी राजधानी नहीं बन जाती तब तक आंदोलनकारी प्रवीण सिंह काशी जेल में ही रहेंगे और अन्य सभी आंदोलनकारी उनके साथ हैं। इस मौके पर उत्तराखंड किसान आंदोलन के नेता विपिन खन्ना आदि मौजूद रहे।
देहरादून। वर्ष 2018 में स्थायी राजधानी के लिए गैरसैंण स्थायी राजधानी समिति समेत विभिन्न संगठनों ने गैरसैंण में धरना प्रदर्शन किया था। इस दौरान पुलिस ने 40 आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। 38 आंदोलनकारियों को जेल हुई थी। पांच दिन बाद सभी जमानत पर छूट गए थे। इसी संबंध में प्रवीण सिंह काशी को भी समन मिला है और 14 सितम्बर को जेल जाएंगे।