सरोमांचकारी पर्यटकों के लिए अद्भुत है यह रास्ता
उत्तरकाशी। मय में विशाल शिलाओं को काटकर व उनमें छेद बनाकर उनमें सब्बल फंसाकरलकड़ी कापुल बनाया गया था। अब इस स्थान पर राज्य सरकार ने लकड़ी का पुल बनाकर इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया है। अपनी तरह के इसअद्भुत पुल को देखने के लिए नियमित रूप से लोगों की भीड़ उमड़रही है।
इस विकट व जोखिम भरे मार्ग से 1962से पहले तक भारत व तिब्बत का ब्यापार होता था।तिब्बत के ब्यापारी बाड़ाहाट(अब-उत्तरकाशी) मंडी तक व यहां के ब्यापारी तिब्बत तक ब्यापार करने जाते थे तथा सीमित मात्रा में आवाजाही होती रहती थी। भारत-चीन युद्ध के बाद यह मार्ग सुरक्षा के मध्यनजर बन्द कर दिया गया। प्रताप बिष्ट संघर्ष में बताया कि रोटरेक्ट क्लब द्वारा भी ऐतिहासिक गर्तागंली का भ्रमण किया गया।उन्होंने कहा कि यह पुल रोमांचकारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र साबित होगा।
इस वर्ष उत्तराखंड सरकार द्वारा हसका नवीनीकरण कर इसे 150रुपये शुल्क लेकर पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।बाहरी लोगों के लिए 600रुपये शुल्क नियत किया गया है।रोमांचकारी पर्यटन हेतु यह मार्ग आनंददायक है।इससे यह ज्ञात होता है कि हमारे पुराने लोग अत्यधिक साहसी थे तथा खतरों से खेलने में परहेज नही करते थे।गर्तागंली में आजकल पर्यटकों की खूब आवाजाही हो रही है।