उत्तराखंडशिक्षा

खद्दर का अर्थशास्त्र मनुष्य से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित है

गांधी के विचारों को लेकर हुई गोष्ठी

गांधी जी के अनुसार खद्दर का अर्थशास्त्र मनुष्य से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित है। वे कहते थे कि खादी मानव मूल्यों का प्रतीक है, जबकि मिल में बना हुआ कपड़ा केवल धात्विक मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी के अनुसार चरखा हमारे राजनीतिक संघर्ष का आर्थिक आधार है। वे इस तर्क को मानते थे कि बिना किसी आर्थिक आधार के लोगों को संगठित करना अत्यंत कठिन है। एक स्वतंत्र राष्ट्र जहां तक संभव हो सके आर्थिक दृष्टि से भी स्वतंत्र होना चाहिए। गांधी जी गांव के चरखा एवं हाथ करघा उद्योग को समाप्त नहीं होने देना चाहते थे क्योंकि उनके अनुसार यही एक मात्र उद्योग गांव में रहने वाले लाखों परिवारों को आर्थिक बर्बादी से बचा पायेगा। प्रो.के.एल.तलवाड़ के अनुसार महात्मा गांधी जी ने यद्यपि अर्थशास्त्र पर न तो कोई पुस्तक लिखी और न ही कोई आर्थिक योजना या सिद्धांत प्रस्तुत किया है,किंतु फिर भी उनकी पुस्तकों,लेखों एवं भाषणों में तमाम आर्थिक विचार बिखरे हुए हैं। उनकी पुस्तक ‘सत्य के मेरे अनुभव ‘, ‘रचनात्मक कार्यक्रम ‘ और ‘शतप्रतिशत स्वदेशी’ में उनके द्वारा प्रस्तुत जीवन दर्शन का एक भाग वास्तव में व्यावहारिक अर्थशास्त्र ही है। गांधी जी ने श्रम की प्रतिष्ठा,विकेन्द्रीकरण और कुटीर व लघु उद्योगों पर जो विचार और सुझाव व्यक्त किये हैं,वे आज भी अत्यंत उपयुक्त और व्यावहारिक हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button