नशीले पदार्थों के तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए उत्तराखंड पुलिस अब सिर्फ मुखबिरों पर निर्भर नहीं रहेगी। अब नशीले पदार्थों के तस्करों का नेटवर्क उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) भी मुंबई पुलिस की तकनीक की मदद से तोड़ेगी। इसके लिए एसटीएफ हैंडहेल्ड नारकोटिक्स डिटेक्टर (एचएनडी) खरीद रही है। जो तस्करों के पास से नशीले पदार्थ की छोटी सी पुड़िया को भी ढूंढ निकालेगी। स्मैक, चरस, गांजा, सुल्फा, डोडा समेत 15 तरह के मादक पदार्थों को ट्रेस करने में सक्षम एचएनडी की खरीद के लिए दिल्ली की एक कंपनी को आर्डर दिया जा चुका है।
युवा पीढ़ी तक नशीले पदार्थों को पहुंचाने वाले छोटे तस्करों तक नहीं पहुंच पाती। जिससे यह नेटवर्क लगातार काम करता रहता है। वजह यह कि पुलिस के लिए अचानक किसी व्यक्ति, वाहन या जगह पर नशीले पदार्थ की तलाश करना मुमकिन नहीं। एसटीएफ ने इसका तोड़ निकालते हुए एचएनडी की खरीद की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। इसकी मदद से पुलिस कहीं भी आसानी से जांच कर छोटे तस्करों को भी पकड़ने में सक्षम होगी।
अधिकारियों के मुताबिक यह मशीन नशीला पदार्थ कहीं भी छिपाया गया हो, उसे ढूंढ लेती है। बैग, जेब या कपड़ों में छिपाई गई छोटी से छोटी से छोटी पुड़िया के भी इस मशीन से बच निकलने की गुंजाइश कम रहती है।
उत्तराखंड पुलिस ने एंटी ड्रग टास्क फोर्स (एटीडीएफ) बनाई है, जो एसटीएफ के नेतृत्व में काम करती है। बड़े तस्करों पर एसटीएफ कार्रवाई करती है, जबकि जिलों में एडीटीएफ की टीम अब रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व अन्य जगहों पर एचएनडी की मदद से नशीले पदार्थों के तस्करों को पकड़ सकेगी।