देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्ती प्रकरण प्रदेश की धामी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करने लगा है। प्रदेश की सियासत में मुद्दा गरमाने के बाद अब दिल्ली हाईकमान ने इस पूरे प्रकरण को लेकर संज्ञान लिया है। जिसके बाद प्रदेश सरकार में अंदरखाने हड़कंप मची हुई है। इस पूरे प्रकरण से भाजपा के अंदरखाने भी कयासबाजी शुरू हो गई है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि इसकी गाज गिरनी तय है।
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग प्रकरण में अब तक हुई कार्रवाई को लेकर जहां एक तरफ धामी सरकार की पीठ थपथपाई जा रही है। वहीं विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर धामी सरकार घिरती हुई नजर आ रही है। हालांकि इस पूरे प्रकरण में अब तक की सभी सरकारें सवालों के घेरे में है। लेकिन जिस तरह से बीते दिनों विधानसभा के अध्यक्ष रहे वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का बयान सामने आया, उससे सरकार की इमेज पर काफी असर पड़ा है। ऐसे में भाजपा का हाईकमान लोकसभा चुनाव तक ऐसे किसी भी मुद्दे को हावी नहीं होने देना चाहेगा जिससे पार्टी की छवि पर असर पड़े। ऐसे में हाईकमान ने इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लिया है।
इस बीच भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने मीडिया में दिए एक बयान में कहा है कि पार्टी विधानसभा की भर्ती मामले की जानकारी लेगी। वरिष्ठ नेताओं से सच्चाई का पता लगाने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। प्रभारी ने ये भी कहा कि अगर इसमें कोई गुनाहगार होगा, कोई गलती होगी इसमें सुधार किया जाएगा। प्रभारी के इस बयान के बाद सियासत गरमा गई है। इधर सोशल मीडिया में बीते दिनों वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के दिल्ली तलब की खबरें भी जमकर वायरल की गई है। हालांकि इस पर अभी कोई कुछ भी कहने से बच रहा है। लेकिन आने वाले दिनों में इस प्रकरण से भाजपा की प्रदेश की सियासत पर असर पड़ना तय है। अब सबकी निगाहें स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण पर टिकी गई हैं। देहरादून लौटने के बाद स्पीकर इस मसले पर क्या फैसला लेती है। ये देखना भी दिलचस्प होगा। हालांकि सियासी जानकार मानते हैं कि स्पीकर के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। जैसे पार्टी और सरकार अपनी छवि पेश करना चाहते हैं उस हिसाब से स्पीकर के पास जांच के अलावा कोई विकल्प नहीं बच रहा है।
अंदरखाने कई विधायक और नेता इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे ऐसे में पार्टी के अंदर इस पूरे मुद्दे को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। भाजपा के इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष के साथ अपनों को भी संभालने की है। एक तरफ कांग्रेस जहां इस पूरे मुद्दे को लेकर बड़े स्तर पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है, वहीं भाजपा के अंदरखाने कई विधायक और नेता इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। इसको लेकर भाजपा के अंदर ही दो गुट बन चुके हैं। एक गुट जो प्रेमचंद अग्रवाल का बचाव कर रहा है, दूसरा जो अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में कई देहरादून जिले के विधायक भी हैं। जो कि इन भर्तियों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों से सामने आ रही है, जो कि कई बार बयानबाजी से अपनी ही सरकार और मंत्रियों को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।
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