….तब प्रेस क्लब में ” कितने पाकिस्तान ” पर हुई थी चर्चा।
एक दूसरे के पर्याय हैं कमलेश्वर और कहानियां।
_डा अतुत शर्मा
देहरदून। आज सुप्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर की जन्मतिथी है । 6 जनवरी 1932 मे जन्मे कमलेश्वर जी का हिन्दी कथा साहित्य मे विशिष्ट स्थान रहा है ।
आंधी और मौसम जैसी फिल्मे उनकी शख्सियत को अलग पहचान देती है । कहानियां और कमलेश्वर एक दूसरे के पर्याय रहे ।
जब कमलेश्वर जी देहरादून आये तो प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम हुआ । उनके चर्चित उपन्यास ” कितने पाकिस्तान ” को लेकर चर्चा हुई ।उन्होंने कुछ अंश भी सुनाये । बैठने का प्रबंध नीचे था । बहुत सादगी के साथ । सभी लेखक वहां मौजूद थे । मुझे याद है कि जब मैने उनसे उपन्यास से उस अंश का जिक्र किया कि जिसमे ” अदीब ” है । हथेलियो मे आंसुओ का भी जिक्र है ।तो उन्होंने उस अंश को महत्वपूर्ण बताया । उसपर काफी देर तक बोले ।इस उपन्यास के कुछ अंश उन्होंने देहरादून के दच्छीवाला फोरेस्ट बंगले मे भी लिखे थे ।
एक बार और जब वे देहरादून आये तो नारीशिल्प मंदिर मे एक गोष्ठी हुई थी । बहुत से लोगो मे लेखक हिमांशु जोशी भी थे ।
मेरे पी एच डी का विषय था_ ” विभिन्न कहानी आन्दोलनो मे रचनाकारो के रचना सिद्धान्त ” । तो कमलेश्वर जी पहले नयग कहानी आन्दोलन और फिर समानान्तर कहानी आन्दोलन के अगुवा थे । तो मुझे उनसे खूब जानकारियां मिलनी स्वाभाविक ही थी ।
कमलेश्वर जी नयी कहानियां सारिका कथा देश और गंगा पत्रिकाओं के संपादक रहे ।दूरदर्शन से भी संबद्ध रहे । उनका एक कार्यक्रम ” परिक्रमा ” आज भी याद है ।उन्होंने दर्पण चंद्रकान्ता आदि सीरियल भी लिखे ।
उनकी आत्मकथा चर्चाओ मे रही ।जलती हुई नदी.. उनकी आत्मकथा का तीसरा भाग है उपन्यासों मे_ एक सड़क सत्तावन गलियां काली आंधी समुद्र मे खोया हुआ आदमी आदि । कहानी संग्रहों मे_ राजा निर्बसिया कस्बे का आदमी जार्ज पंचम की नाक मांस का दरिया आदि ।
हिन्दी कथा साहित्य के एक बेहद चर्चित लेखक की कृतियां तो यादगार है ही पर उनकी आवाज़ भी कम यादगार नही । आकाशवाणी और दूरदर्शन मे उनकी आवाज़ का अलग ही दानेदार अनुभव रहा ।
दिल्ली मे लाइब्रेरी बुक सप्लाई का काम करते हुए मुझे एक बार प्रसिद्ध कहानीकार भीमसेन त्यागी जी के साथ कमलेश्वर जी से मिलना हुआ था ।उस समय उनकी बातो मे प्रेमचन्द और चेखव छाये हुए थे । यह था मोहनसिह प्लेस दिल्ली काफी हाउस ।
….अन्य को भी शैयर करें।