देहरादून। केदारनाथ धाम में हुईअभद्रता को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत बहुत आहत हैं।हालांकि वह अभद्रता करने वालों के लिए यही कह रहे हैं कि बाबा उन्हें क्षमा करे। लेकिन साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि इस घटना को केदारनाथ के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने एक सनातनधर्मी को रोका है। वह कहते हैं कि ब्राह्मण विद्धान होते हैं और वह विरोध को भी अपने पांडित्य से करते हैं। विरोध लोकतांत्रिक तरीके से होनाचाहिए। इसमें हिंसा की कोई जगह नहीं है। लेकिन हिंसक तत्वों ने बाबा केदार की भूमि पर अपने हिंसक कृत्यों से कलंकित किया है।
सार्थक् प्ररूज्ञस् न्यूज पोर्टल से विशेष बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत कहते हैं बाबा केदार के दर्शन् करने से कोई किसी कोनहींरोकसकता। वहां कुछ तत्वों नेउनके साथ जिसतरह काआचरणकिया है, वह सनातन धर्म की परंपरा के प्रतिकूल है। यह केदारनाथ धाम के हजारों वर्षों के इतिहास मेंएककाला अध्याय है। कहा कि उन्होंने चारधाम श्राइन बोर्ड गठित करने का सुझाव दिया था, जिसका नाम बाद में मंत्रि परिषद एवं विधानसभा सदस्यों के सुझाव परदेवस्थाम बोर्ड रखागया। कहा कि हालांकि जिस दिन यह प्रस्ताव सदन में पारित हुआ,उस दिन वहसदन में मौजूद नहीं थे। हालांकिवहयह भी कहते हैं कि इससेहक-हकूकधारियों के हित कहींप्रभावित नहीं होते। इससे तो धामों की व्यवस्था ही बेहतर होगी और देश-दुनिया के श्रद्धालु धाम पहुंचेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत कहते हैं कि धाम में एक पूर्व सीएम, वर्तामान में विधायक औरउससे बढ़करएकसनातनी धर्मी को रोका ही नहीं गया,बल्कि अभद्रता भी की गई। यहकिसी भी स्तर पर किसी के साथ नहींहोना चाहिए। यह ब्राह्मण और क्षत्रियों की लड़ाई नहीं है। इससे नकारात्मक
मैसजे गया है। कहा कि बाबा के धाम में पहले और अब भी कई मंत्री गए, उनसे तो सवाल तक नहीं किए गए।
कहा कि अगर धामों के हक-हकूकधारी देवस्नमबोर्ड का विरोध करना चाहते हैं तो तर्कों के आधार पर लोकतांत्रिक तरीकों से करें। आराजकता की इजाजत किसी को नहीं है। उनका कहना है कि कई लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एक वरिष्ठ आइएएस ने तो इस घटना परयहां तक कहा कि इससे उन्हें अपने हिंदू होने पर ही लज्जा आती है। रावत ने कहा कि वंडा समाज तो सभी श्रद्धालुओं की मंगल की कामनाकरता है। ऐसे में अराजक तत्वों परसवाल उठता ही है। वह कहते हैं कि ऐसे तत्वों कोवहमाफ करते हैं।लेकिन बाबा केदार अपनी भूमि पर हिंसकता करने वालों को शायद ही माफ करेगा।