उत्तराखंड

क्या अयोध्या की नजीर बनेगा बदरीनाथ

जिस तरह अयोध्या नगरी को तोड़कर गरीबों के मुख से उनका निवाला छीना गया, उसी तरह बदरीनाथ धाम को पर्यटकों का सैर गाह बनाने के लिए उजाड़ दिया गया है,उनके हक, हकूक और इस धाम की धार्मिक मान्यताओं के विरूद्ध इसे भी सैर गाह बनाने के विरुद्ध जनता अब विधानसभा के उप चुनाव में उसका माकूल जवाब देने जा रही है।

केदारनाथ मंदिर में नकली सोना बनने की कहानी हो या मंदिर समिति के क्यूआर कोड के दीवार पर चस्पा करने के बाद करोड़ों रुपए के घोटाले पर किसी पर जिम्मेदारी फिक्स न कर पाने से शक की सुइयां मंदिर समिति पर उठना स्वाभाविक है। क्या अब बदरीनाथ के चंदन में भी इसी तरह की सैंध लगाने की तैयारी चल रही है। छेत्र की जनता क्या इसे चुनावी मुद्दा बना पाएगी,यह यक्ष प्रश्न बना है।

बीजेपी अब लगातार चुनावी जीत के बाद उत्तराखंड को अपनी जागीर समझ बैठी है,स्थानीय नेतृत्व की उपेक्षा कर मंगलोर और बदरीनाथ अप चुनाव में उसने जिन प्रतियाशियो को चुनावी मैदान में उतारा है,उससे स्थानीय संगठन में नाराजगी देखी जा रही है।

सर्वाधिक नाराजगी बदरीनाथ में है।निर्दलीय उम्मीदवार नवलखाली बीजेपी को अधिक नुकसान देते दिखाई दे रहे है।बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्यासी ठाकुर वर्ग से होने के कारण ब्राह्मण वोटरों की अहमियत बड़ गई है।विधान सभा में इनका योगदान 25प्रतिशत है। इस वर्ग की चुप्पी कोई गुल खिला सकती है,इस से इंकार नही किया जा सकता है।

इस विधान सभा में कुल मतदाताओं की संख्या102145 है।52485पुरुष मतदाता और49658 महिलाए है ,जबकि सर्विस मतदाताओं की संख्या 2566 है।विकलांग 990 मतदाता है। दो मतदाता थर्ड जेंडर है। कुल मतदेय स्थल210और बूथ संख्या 203 है।

वर्षा और चुनाव के प्रति जनता में अरुचि के चलते मतदान फीका रहने की उम्मीद जताई जा रही है इतना जरूर है, कि इस बार बीजेपी में कांग्रेस मूल के उम्मीदवार को लेकर भारी असंतोष देखा जरा है।यदि कांग्रेस संगठन और बूथ तक मजबूती से मतदाताओं को लाने में सफल रहती है,तो चुनाव परिणाम उसके पक्ष में जा सकता है।बीजेपी की जीत में उनके मीडिया सैल की भूमिका ही संगठन का आधार बनी हुई है।

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