देहरादून। ठंडो रे ठंडो म्यरा पहाड़े की हवा ठंडी गीत के साथ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायुपुर से उत्तराखंड स्थापना महोत्सव का आगाज हुआ। इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में अलकनंदा समूह प्रथम, गंगोत्री समूह द्वितीय तथा बद्रीनाथ समूह तृतीय रहे। कार्यक्र में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास पर प्रकाश डालने के साथराज्य बनने के बाद की विाकस यात्रा पर भी वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।
राजकीय स्नातकोत्तर विद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग की ओर से उत्तराखंड स्थापना महोत्सव में बीएससी बीएससी जंतु विज्ञान के छात्र छात्राओं द्वारा लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीत ठंडो रे ठंडो म्यरा पहाड़े की हवा ठंडी से उत्तराखंड के सौंदर्य का वर्णन किया गया। वहीं कुमाऊनी गीतकार बिजेद्र साह के गीत बेडू पाकौ बारामासा, काफल पाकौ चैता, मेरी छैला की प्रस्तुति भी दी गई।
प्राचार्य प्रोफेसर सतपाल सिंह साहनी ने उत्तराखंड राज्य की स्थापना से अब तक की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुएकहा कि दो दशक में उत्तराखंड ने विकास के नएआयाम छुए हैं। कई विश्वविद्यालयों की स्थापना सेउच्च शिक्षा केक्षेत्र में प्रदेश ने प्रगति की है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में की गई प्रगति से ग्रामीण क्षेत्र के युवा भी लाभान्वित हुए। प्रोफेसर दक्षा जोशी ने उत्तराखंड राज्य के भौगोलिक परिवेश पर प्रकाश डाला। डॉक्टर डिंपल ने गढ़वाली- कुमाऊनी सांस्कृति को लोकमानस से जुड़ा हुआ गताया। कहा कि राज्य बनने से उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का बेहतर संरक्षण हुआ है।
कार्यक्रम की संयोजिका तथा जंतु विज्ञान विभाग की डाक्टर मधु थपलियाल जो स्वयं भी आंदोलनकारी रही है ने कहा कि इस राज्य के लिए लाखों लोगों का संघर्ष रहा है। इसमेंमिहलाओं की भागेदारी सर्वाधिक रही है। उन्होंने आंदोलन के दौर को याद करते हुए कहा कि राज्य तो बन गया , लेकिन अब उसे और बेहतर बनाने के लिए नई पीढ़ी कोसकारात्मक पहल करनी होगी।
इस अवसर पर उत्तराखंड से संबंधित क्विज प्रितयोगिता का परिणाम प्राचार्य प्रोफ़ेसर सहानी ने घोषित किया। इसमें अलकनंदा समूह प्रथम, गंगोत्री समूह द्वितीय तथा बद्रीनाथ समूह तृतीय रहा। कार्यक्रम में डॉ डिंपल भट्ट, डॉ पूजा रानी, अनीता चौहान ने भी गढ़वाली कुमाऊनी गीतों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम में डॉक्टर सरिता,डॉ श्रुति आदि भी मौजूदद रहे।